scriptमिडिल स्कूल के 51.6 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते किताब, 69.6 प्रतिशत नहीं जानते गुणा-भाग | 51.6 per cent children in middle school can not read | Patrika News

मिडिल स्कूल के 51.6 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते किताब, 69.6 प्रतिशत नहीं जानते गुणा-भाग

locationअशोकनगरPublished: Jan 19, 2019 11:11:25 am

Submitted by:

Arvind jain

– तीसरी से पांचवी कक्षा तक के 83.3 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते हिंदी, असर की रिपोर्ट में हुआ खुलासा।

news

मिडिल स्कूल के 51.6 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते किताब, 69.6 प्रतिशत नहीं जानते गुणा-भाग


अशोकनगर. शासन भले ही जिले में शिक्षा पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रहा हो, लेकिन जिले में शिक्षा का स्तर लगातार घट रहा है। हकीकत यह है कि तीसरी से पांचवी कक्षा के 83.3 प्रतिशत बच्चे हिंदी नहीं पढ़ पाते और छठवी से आठवी कक्षा तक के 51.6 प्रतिशत बच्चों को किताब पढऩा नहीं आता है। वहीं मिडिल स्कूल के ज्यादातर बच्चे गुणा-भाग करना भी नहीं जानते हैं।

जिले के सरकारी स्कूलों के शिक्षास्तर का खुलासा हुआ है असर संस्था की सर्वे रिपोर्ट में। 15 सितंबर से 30 सितंबर तक संस्था ने सर्वे कर स्कूलों के छात्रों का शिक्षा का स्तर जाना। जिले में सभी स्कूलों में पहली से आठवी कक्षा तक एक लाख 39 हजार 431 छात्र-छात्राएं दर्ज हैं, जिनमें से 95 हजार 204 बच्चे शासकीय स्कूलों में पढ़ते हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी स्कूलों के तीसरी से पांचवी कक्षा तक के बच्चों में से मात्र 16.7 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी कक्षा की किताब पढ़ सके और 83.3 प्रतिशत बच्चे किताब ही नहीं पढ़ पाते हैं। वहीं इनमें से 83.7 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को जोड़-घटाना भी नहीं आता है। वहीं छठवी से आठवी कक्षा के 48.4 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी कक्षा की किताब पढ़ सके और मिडिल स्कूलों में पढऩे वाले 51.6 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा की किताब भी नहीं पढ़ पाते हैं। वहीं छठवी से आठवी कक्षा तक के 69.6 फीसदी बच्चे गुणा-भाग भी नहीं कर पाते हैं।

5.6 प्रतिशत बच्चे किसी स्कूल में नहीं पढ़ते-
जिले में छह साल से 14 साल की उम्र के 13.2 प्रतिशत बच्चे प्राईवेट स्कूलों में पढ़ते हैं और 5.6 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिनका किसी भी स्कूल में नाम दर्ज नहीं है। जबकि शिक्षा विभाग जिले में कोई भी अप्रवेशी बच्चा न होने का दावा करता है। लेकिन इस रिपोर्ट ने विभाग के दावे की हकीकत को उजागर कर दिया है कि आज भी जिले में करीब 7800 बच्चे स्कूलों से वंचित हैं।

600 घरों में पहुंचकर किया सर्वे-
संस्था के लिए जिले में शिक्षा के स्तर का सर्वे करने वाले कुमार संभव नायक के मुताबिक उनकी टीम ने 15 से 30 सितंबर के बीच सर्वे किया और प्रत्येक छुट्टी वाले दिन उनका सर्वे चला। शिक्षा का स्तर जानने के लिए टीम 25 स्कूलों के करीब 600 घरों में पहुंची। खास बात यह है कि इन बच्चों से हिंदी की पांच-छह लाइन की दूसरी कक्षा की कविता पढ़वाई गई थी, लेकिन बच्चे वह कविता भी नहीं पढ़ सके।

6 से 14 साल के बच्चों पर यह है असर संस्था की रिपोर्ट-
– 13.2 प्रतिशत बच्चे प्राईवेट स्कूलों में पढ़ते हैं और 5.6 प्रतिशत बच्चों का नाम किसी भी स्कूल में दर्ज नहीं है।
– तीसरी से पांचवी कक्षा तक के 16.7 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी कक्षा की किताब पढ़ सके और 16.3 प्रतिशत जोड़-घटाना जानते हैं।
– छठवी से आठवी तक के 48.4 प्रतिशत बच्चे दूसरी की किताब पढ़ पाए और 30.4 प्रतिशत बच्चे गुणा-भाग कर पाते हैं।
खास-खास-
– पहली से आठवी कक्षा तक की कक्षा में139431 बच्चे हैं।
– शासकीय स्कूलों में तीसरी से पांचवी कक्षा में 35589 बच्चे हैं।
– शासकीय स्कूलों में छठवी से आठवी कक्षा में 36814 बच्चे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो