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एशिया

भारत ने पाक को चेताया, जाधव मामले में राजनयिक पहुंच पूरी तरह गोपनीय और निजी हो

पाकिस्तान चाहता है कि यह बातचीत पूरी तरह से कैमरे की निगरानी में होनी चाहिए
कुलभूषण जाधव का मामला दोबारा आईसीजे में जा सकता है

Aug 04, 2019 / 02:09 pm

Mohit Saxena

patrika mumbai

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव के कॉन्सुलर एक्सेस को भारत ने ठुकरा दिया है। भारत की ओर से बयान में कहा है कि इस प्रस्ताव वो तभी स्वीकार करेगा जब पाक इसे गंभीरता से ICJ (इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस) के तहत रखा जाएगा। इस मामले में भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि राजनयिक पहुंच पूरी तरह गोपनीय और निजी होनी चाहिए। वहीं पाकिस्तान चाहता है कि यह बातचीत पूरी तरह से कैमरे की निगरानी में होनी चाहिए। ऐसे में यह मामला दोबारा ICJ में जा सकता है।
भारत का कहना है कि जाधव की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने खुद कहा है कि इस मामले में बातचीत की छूट दी जाए। इस तरह से जाधव अपने पक्ष को मजबूती से रख सकेंगे। भारत का कहना है कि जब से ICJ का फैसल आया है, तब से सुरक्षा को लेकर जाधव पर खतरा अधिक बढ़ गया है। पाकिस्तान को कोर्ट के तहत की काम करना चाहिए।
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शर्त को मानने से इनकार

गौरतलब है कि पाकिस्तान ने सशर्त कॉन्सुलर एक्सेस दिया था, जिस पर भारत को आपत्ति थी। भारत ने कॉन्सुलर एक्सेस के लिए किसी भी शर्त को मानने से इनकार दिया। गौरतलब है कि इटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के आदेश के बाद पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देने का वादा किया था। पाकिस्तान ने इस पेशकश के लिए कुछ शर्तें रखी थीं। पाक ने भारत से तीन शर्तें रखी थीं।
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49 वर्षीय कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य कोर्ट ने ‘जासूसी और आतंकवाद’ के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। पाक कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में अपील की थी। इस पर आईसीजे ने 17 जुलाई को दिए आदेश में फांसी पर रोक लगाने को कहा था।
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पाकिस्तान ने रखीं शर्तें

पाकिस्तान ने अपनी तीन शर्तो में सबसे पहली कुलभूषण जाधव से मिलने के दौरान भारतीय अधिकारियों के साथ कमरे में एक पाकिस्तानी अधिकारी की उपस्थिति की मांग की थी। दूसरा, कमरे में सीसीटीवी और तीसरा,साउंड रिकॉर्डिंग की सुविधा भी होगी। इसका मतलब था कि पाकिस्तान के अधिकारी बातचीत के हर शब्द को सुन सकेंगे। पाकिस्तान स्पष्ट रूप से सोचता है कि यह कानूनी रूप से जरूरी है।
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वियना कन्वेंशन के उल्लंघन का दोषी पाया

वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 36 के तहत जब किसी विदेशी नागरिक को गिरफ्तार किया जाता है तो जांच और हिरासत में रखे जाने के दौरान कैदी को कॉन्सुलर एक्सेस (राजनयिक पहुंच) देना जरूरी है। वहीं पाकिस्तान ने आईसीजे में तर्क दिया था कि जासूसी में किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी पर यह जरूरी नहीं कि उसे कॉन्सुलर एक्सेस दिया जाए। आईसीजे ने पाकिस्तान को राजनयिक पहुंच देने का निर्देश दिया था।
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