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पाकिस्तान चुनाव: पुराना है इमरान खान का तालिबान कनेक्शन, ऐसे ही नहीं बने सेना के फेवरेट

locationनई दिल्लीPublished: Jul 27, 2018 03:09:19 pm

इमरान की कटट्रपंथी राजनीति कोई नई नहीं है। 2013 में अमरीकी ड्रोन हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कमांडर वली-उर-रहमान के मारे जाने के बाद इमरान ने उसे ‘शांति समर्थक’ के खिताब से नवाजा था।

imran khan

पाकिस्तान चुनाव: पुराना है इमरान खान का तालिबान कनेक्शन, ऐसे ही नहीं बने सेना के फेवरेट

लाहौर। पाकिस्तान के आम चुनाव में इमरान खान सबसे ताकतवर लीडर उभर कर आये हैं। पाकिस्तान में हो रही भारी भारी बारिश और आरोप-प्रत्यारोप के दौर के बीच वोटों की गिनती लगभग पूरी हो चुकी है। इमरान की पार्टी पीटीआई को जोरदार कामयाबी मिली है। उलझे चुनावी गणित के बीच पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने अन्य दलों पर स्पष्ट बढ़त हासिल कर ली है। हालांकि पाकिस्तान में हंग असेम्बली बनती हुई दिखाई दे रही है। माना जल्द ही इमरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री सकते हैं, लेकिन पीएम बनने से पहले वह अपने फ़ौज की भाषा बोलते दिखाई दे रहे हैं।
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इमरान या तालिबान खान

इमरान को पाकिस्तान में अपने तालिबान समर्थक रवैये के चलते तालिबान खान कहा जाता है। उनके विरोधियों के अनुसार उनकी पार्टी को सेना और खुफिया संस्था ‘इंटर-सर्विसिस इंटेलिजेंस’ (आईएसआई) का समर्थन प्राप्त है, जिस वजह से कहा जा रहा है कि उन्हें अपने विरोधियों के खिलाफ बढ़त हासिल है। अमरीका द्वारा चलाये जा रहे युद्ध में तालिबान का खुलकर समर्थन करने के कारण इमरान खान को पिछले कुछ सालों से ‘तालिबान खान’ कहा जाता है।मियांवाली से नेशनल असेम्बली का प्रतिनिधित्व करने वाले इमरान खुलकर तालिबान का साथ देते रहे हैं। यहां तक कि वह पाकिस्तान के नेशनल असेम्बली में इस कट्टरपंथी जमात के लिए आवाज उठा चुके हैं।
पुराने हैं तालिबान से रिश्ते

इमरान की कटट्रपंथी राजनीति कोई नई नहीं है। 2013 में अमरीकी ड्रोन हमले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कमांडर वली-उर-रहमान के मारे जाने के बाद इमरान ने उसे ‘शांति समर्थक’ के खिताब से नवाजा था। इमरान का तालिबान प्रेम पिछले कुछ सालों में इस तरह बढ़ा कि उत्तर पश्चिम प्रांत खैबर पख्तूनख्वाह की गठबंधन सरकार ने 2017 में हक्कानी नेटवर्क के अल हमीलिया मदरसे को 30 लाख डॉलर की मदद दी। हक्कानी मदरसा तालिबान का बैक बोन कहा जाता है।बता दें कि खैबर पख्तूनख्वाह में इमरान की पार्टी सरकार में सहयोगी थी।
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सेना के फेवरेट होने की बड़ी वजह

इमरान को अपने कट्टरपंथी रवैये के चलते पाकिस्तानी सेना का फेवरिट माना जा रहा है। हालांकि इमरान अपने विचारों में कट्टरपंथी नहीं हैं लेकिन जब बात तालिबान और पडोसी देशों खासकर भारत और अफगानिस्तान की आती है तो यहां वह सेना की नीतियों के लिए मुफीद साबित होते हैं। पाकिस्तानी की राजनीति में अंदर तक धंसी सेना कभी भी भारत के साथ अच्छे संबंधों की हिमायती नहीं रही है।जाहिर है सेना के सपोर्ट से पीएम बने इमरान के लिए इन अपेक्षाओं को पूरा करने के सिवाय कोई और चारा नहीं बचेगा।
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