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एशिया

पीओके में पाकिस्तान के जुल्मों का सबूत, राजनीतिक कार्यकर्ता की हिरासत में मौत

पीओके में दशकों से जारी है पाकिस्तानी दमन
लोगों की आवाज दबा रही है सेना और पुलिस
कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हो चुकी है हत्या

Apr 04, 2019 / 02:17 pm

Siddharth Priyadarshi

Protest in PoK

मुजफ्फराबाद। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मुजफ्फराबाद शहर में मंगलवार को एक राजनीतिक कार्यकर्ता की हिरासत में हत्या के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सरकार विरोधी नारे लगाए। गुस्से में लोगों ने सड़कों को बंद कर दिया और टायर जलाए। लोगों ने राजनीतिक कार्यकर्ता राजा वकार तुर्क की मौत की तत्काल जांच की मांग की।

पीओके में भारी विरोध प्रदर्शन

कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों ने राजा वकार के साथ अत्याचार किया है। लोगों का दावा है कि क्षेत्र में किसी भी असंतोष को दबाने के लिए पाक सेना क्रूरता और दमन का सहारा लेती है।उधर प्रशासन के खिलाफ बढ़ते गुस्से को शांत करने और मीडिया और सार्वजनिक जांच से खुद को बचाने के प्रयास में सरकार ने इस हत्याकांड के लिए एक जांच आयोग का गठन किया है। लेकिन लोगों का कहना है कि इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने ही राजा वकार की हत्या की है। एसएचओ और डीएसपी इस समिति के सदस्य हैं।

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राजा वकार तुर्क की हत्या

लोगों का कहना है कि राजा वकार तुर्क की हिरासत में हत्या की गई है। सीसीटीवी फुटेज में पुलिसकर्मियों का एक समूह थाना परिसर के अंदर जाता दिखाई दे रहा है, जहां राजा को हिरासत में लिया गया था। आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर राजा वकार की हत्या कर उसे एक इमारत से फेंक दिया। राजा वकार को गंभीर चोटें आई थीं। मंगलवार को देर रात उनकी मौत हो गई। 28 मार्च से वह लाइफ सपोर्ट मशीन पर थे।

https://twitter.com/ANI/status/1113634652177227776?ref_src=twsrc%5Etfw
पीओके में पाकिस्तान की क्रूरता

पीओके के लोग सात दशक से अधिक समय से पाकिस्तानी अधीनता झेल रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर पाकिस्तान द्वारा किए गए दावों के विपरीत, इस क्षेत्र को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर रखा गया है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान की सेना और पुलिस इस इलाके के लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक समझते हैं और आए दिन लोगों पर किसी न किसी बहाने से अत्याचार करते हैं। इन इलाके में लोगों को कोई भी मौलिक अधिकार हासिल नहीं है।

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