
Atichari Guru Vakri Shani Effect On Weather: अतिचारी गुरु और वक्री शनि का मौसम पर प्रभाव
Atichari Guru Vakri Shani Effect: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 14 मई को गुरु मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे और इस दरम्यान शनि वक्री रहेंगे। ज्योतिषी शर्मा के अनुसार ग्रहों की यह स्थिति कई बदलाव लाएगा। इससे मौसम में परिवर्तन और राजनीतिक उथल-पुथल हो सकती है।
इसके कारण सत्ता में बैठे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में कम वर्षा से किसानों को कष्ट होगा। केंद्र सरकार में बदलाव की संभावना है।
ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार गुरु 2032 तक अतिचारी रहेंगे, इसी दरम्यान शनि वक्री रहेंगे और यह स्थिति हमेशा कष्टकारी साबित होती है। इससे बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों राजाओं को भी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। इस साल यही स्थिति बनने जा रही है।
सामान्यतः गुरु के एक राशि से दूसरी राशि में जाने में 12 से 13 महीना लगता है, वहीं, अतिचारी गति से चलते हुए गुरु 5 महीने बाद कर्क राशि में 18 अक्तूबर को प्रवेश कर जाएंगे और फिर सूर्य से दूर होने के चलते वक्री होकर पुनः मिथुन राशि में वापस आ जाएंगे। गुरु के अतिचारी होने के समय 13 जुलाई से लेकर 28 नवंबर तक शनि वक्री रहेंगे।
दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में पाप ग्रह शनि का वक्री होना और शुभ ग्रह गुरु का अतिचारी होना असामान्य वर्षा का योग बना रहा है। जून के महीने और जुलाई के मध्य तक मानसून सामान्य रहेगा किंतु बाद में कम वर्षा से देश के कई भागों विशेषकर दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में किसानों को कष्ट होगा।
जून के महीने में हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने से जन-धन की हानि भी होने की आशंका है। कुल मिलकर इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के 4 महीनों में (जून से सितम्बर) के बीच 95% से कुछ कम वर्षा होगी।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ भविष्य फल भास्कर के अनुसार जब क्रूर ग्रह वक्री हों तथा शुभ ग्रह अतिचारी हों तब असामान्य वर्षा और दुर्भिक्ष से जन-धन की हानि होती है।
क्रूरा वक्रा यदा काले सोम्या: शीघ्रास्तु चागता:।। अनावृष्टि च दुर्भिक्षं नृपराष्ट्रभयन्करा :।।
Updated on:
05 May 2025 04:14 pm
Published on:
05 May 2025 11:32 am
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