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ज्योतिष के नवग्रहों में से एक प्रमुख ग्रह है बृहस्पति, जिन्हें देवगुरु भी कहा जाता है, इसका कारण यह है कि ये देवताओं के गुरु माने गए हैं। इसीलिए इनके वार को बृहस्पतिवार के अलावा गुरुवार भी कहा जाता है। ज्योतिष में इन्हें जहां विद्या का कारक माना गया है, वहीं शरीर में ये ह्दय के कारक है। रत्नों में इनका रत्न पुखराज है। तो वहीं राशि चक्र की धनु व मीन राशि पर इन्हें स्वामित्व प्राप्त है।
सभी ग्रह ज्योतिषशास्त्र के अनुसार समय-समय पर वक्री और मार्गी होते रहते हैं। इसी क्रम में गुरु वक्री हो चुके हैं। माना जाता है गुरु वक्री होकर बहुत मजबूत हो जाते हैं। यह वक्रत्व काल 31 दिसंबर 2023 तक रहेगा। ज्योतिषशास्त्र में बृहस्पति को नवग्रह में देवगुरु की उपाधि दी गई है। गुरु को सुख-समृद्धि, धन, वैभव, विवाह और अध्यात्म का कारक ग्रह माना जाता है। गुरु के वक्रत्व काल में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।
आर्थिक क्षेत्र में क्या होगा?
बृहस्पति वक्री चल रहे हैं, तो इस दौरान व्यापार में लाभ होगा। आर्थिक प्रगति होगी। बाजार में जो औद्योगिक नीतियों में परिवर्तन होगा, वह आमजन के लिए अच्छा रहेगा। लोगों की सोच पर सकारात्मक असर पड़ेगा। सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे। यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि बृहस्पति वक्री हैं, तो बैंकिंग मामलों में सावधान रहने की आवश्यकता है। लेन-देन में भी सावधानी बरतें।
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युवाओं के लिए खुशखबरी
जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और जो नए व्यावसायिक उपक्रम को स्थापित करना चाहते हैं। उनके लिए यह समय मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह चार माह का समय मनोवांछित परिणाम दे सकता है। बस सही रणनीति बनाकर काम करना होगा।
वक्रत्व काल और विचारधारा
ग्रहों के वक्रत्व काल का विचारधारा पर अलग-अलग प्रकार का प्रभाव पड़ता है। यह वह समय भी है, जहां से हम सीखना शुरू कर सकते हैं। एकदम किसी भी चीज पर विश्वास करने की जगह जांच-परख कर निर्णय लें। वक्री गुरु संदेश देते हैं कि जीवन का मूल्यांकन करें। इस विषय को दृष्टिगत रखते हुए अपने मूल उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हुए जीवनचर्या का नियमन करना चाहिए या जीवन को आगे बढऩा चाहिए।
Published on:
17 Sept 2023 10:50 am
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