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घर में रखें दक्षिणावर्ती शंख, सदा रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा

देवी लक्ष्मी को शंख बहुत प्रिय हैं। चूंकि वे स्वयं समुद्र से प्रकट हुर्इ थीं आैर शंख की उत्पत्ति भी समुद्र से ही हुर्इ है, इसलिए उनके पूजन में शंख का उपयोग किया जाता है। 

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Rajeev sharma

Nov 27, 2015

जयपुर।
देवी लक्ष्मी को शंख बहुत प्रिय हैं। चूंकि वे स्वयं समुद्र से प्रकट हुर्इ थीं आैर शंख की उत्पत्ति भी समुद्र से ही हुर्इ है, इसलिए उनके पूजन में शंख का उपयोग किया जाता है।


- शंखों के अनेक प्रकार होते हैं लेकिन मुख्यतः इन्हें तीन भागों में बांटा जाता है- वामावर्ती, दक्षिणावर्ती और मध्यावर्ती।


- वामावर्ती शंख का मुख बाईं तरफ होता है। दक्षिणमुखी शंख चमत्कारी माने जाते हैं। इन्हें दक्षिणावर्ती शंख भी कहा जाता है। शुद्ध दक्षिणावर्ती शंख को सही विधि से दुकान, आॅफिस, उद्योग, कारखाना, घर के पूजन स्थल में स्थापित किया जाए तो उसके शुभ प्रभाव मिलते हैं। उस स्थान पर मां लक्ष्मी का वास होता है।




- ज्योतिष के अनुसार, अगर इस शंख में शुद्घ जल, गाय के दुग्ध या गंगा जल आदि भरकर छिड़काव किया जाए तो उस स्थान की नकारात्मकता दूर होती है।


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- दक्षिणावर्ती शंख के बारे में यह भी कहा जाता है कि असफलता, शोक, गरीबी, व्यापार में नुकसान जैसी बाधाएं इस शंख के निकट नहीं आतीं। जिस व्यक्ति के जीवन में ये कष्ट आते हैं, उनका शीघ्र ही निवारण हो जाता है।




- अगर दक्षिणावर्ती शंख को तिजोरी अथवा दुकान के गल्ले में रखा जाए आैर नित्य धूप-दीप हों तो वहां इसका शुभ प्रभाव बना रहता है। इससे दरिद्रता का नाश होता है।


शंख सिर्फ मां लक्ष्मी को ही नहीं बल्कि भगवान विष्णु को भी विशेष प्रिय है, इसलिए वे अपने हाथों में शस्त्रों के साथ शंख भी धारण करते हैं।


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