
ये हैं 3 सबसे शक्तिशाली मृत्युंजय मंत्र, जपने वालों से काल भी रहता है दूर
Maha Mrityunjaya Mantras path: महामृत्युंजय मंत्र भगवान महामृत्युंजय स्वरूप के ध्यान का माध्यम है। मनुष्यों के लिए इस मंत्र का उद्घाटन ऋषि मार्कंडेय ने किया था, जिसे स्वयं इस मंत्र के प्रभाव से अल्पायु से दीर्घायु का वरदान मिला था। यही त्र्यंबक मंत्र और संजीवनी मंत्र है जिसे देव दानवों में संतुलन के लिए भगवान शिव ने दैत्य गुरु शुक्राचार्य को दिया था, जिससे वो मृत असुरों को भी जीवित कर सकते थे। आइये जानते हैं तीनों महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकँ य्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्व्वारूकमिव बन्धनान्न्मृत्योर्म्मुक्षीय मामृतात्।
ॐ त्र्यम्बकं य्यजामहे सुगन्धिम्पतिवेदनम्।
उर्वारुक्मिव बन्धनादितोमुक्षीय मामुत:।।
ॐ मृत्युंजयमहादेवं त्राहि मां शरणागतम्।
जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनै:॥
ॐ हौं जुं स: मृत्युंजयाय नम:॥
सुबह और शाम को प्रायः अपेक्षित एकान्त स्थान में बैठकर आंखों को बंद करके इस मन्त्र का जाप (अपेक्षित दस-ग्यारह बार) करना चाहिए। इससे मन को शांति मिलती है और मृत्यु का भय दूर हो जाता है। इस मंत्र के जाप से आयु भी बढ़ती है।
Updated on:
06 Aug 2024 03:44 pm
Published on:
06 Aug 2024 03:43 pm
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