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Mahavir Jayanti 2021: महावीर स्वामी के ये 10 अनमोल वचन देते हैं हर कष्ट से मुक्ति

Mahavir Jayanti 2021: ऐसी मान्यता है कि भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। वे उन 24 महापुरुषों में से हैं जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी।

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Mahavir Jayanti 2021: 10 precious words of Mahavir Swami give freedom from every suffering

नई दिल्ली। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी जी की जन्म जयंती कल यानी 25 अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक, भगवान महावीर का जन्म चैत्र मास के 13वें दिन बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। इस दिन को एक उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। वे उन 24 महापुरुषों में से हैं जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। शास्त्रों के अनुसार, तीर्थंकर वह लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं। महावीर जयंती के दिन देशभर के जैन मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही शोभा यात्राएं भी निकाली जाती हैं।

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इस खास दिन जैन समुदाय के लोग भगवान महावीर के जन्म की खुशियां मनाते हैं। भगवान महावीर ने अपने जीवन काल में दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई उपदेश दिए थे। स्वामी महावीर ने जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए थे जो इस प्रकार हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य।

भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत के अलावा उनके अनेक वचनों से दुनिया के हर समाज के लोग प्रेरित होते हैं और अपने जीवन को सुगम व सरल बनाते हैं। आइए जानते हैं भगवान महावीर के वे 10 अनमोल वचन जो हर कष्ट से देते हैं मुक्ति..

भगवान महावीर के 10 अनमोल वचन

- किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त करके ठीक की जा सकती है।

- भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है।

- सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।

- एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊंचे वृक्ष पर बैठा है। वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है। लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हस्र होने वाला है। वह आदमी मूर्ख है।

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- स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।

- आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत।

- आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।

- जिस प्रकार आप दुःख पसंद नहीं करते उसी तरह और लोग भी इसे पसंद नहीं करते। ये जानकर, आपको उनके साथ वो नहीं करना चाहिए जो आप उन्हें आपके साथ नहीं करने देना चाहते।

- एक सच्चा इंसान उतना ही विश्वसनीय है जितनी मां, उतना ही आदरणीय है जितना गुरु और उतना ही परमप्रिय है जितना ज्ञान रखने वाला व्यक्ति।

- साहसी हो या कायर दोनों को को मरना ही है। जब मृत्यु दोनों के लिए अपरिहार्य है, तो मुस्कराते हुए और धैर्य के साथ मौत का स्वागत क्यों नहीं किया जाना चाहिए?