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Ravi Yog- रवि योग क्या होता है और जानें इसकी खासियत व महत्व

- रवि योग का निर्माण कुंडली से लेकर साप्ताहिक दिनों में तक होता है- ऐसे समझें इस योग पर कब क्या करें?

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Deepesh Tiwari

Aug 26, 2023

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ज्योतिष में अनेक प्रकार के योग का वर्णन मिलता है, इनमें से जहां कुछ शुभदायक योग होते है तो वहीं कुछ अशुभ भी होते है। शुभ योग में गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवियोग सहित अनेक योग शामिल हैं तो वहीं अशुभ योग में विष योग, कालसर्प योग आदि का नाम आता है। ऐसे में एक शुभ योग ऐसा भी है जिसका नाम तो कई लोग जानते हैं लेकिन अत्यंत अहम होने के बावजूद इस योग की खासियत व महत्व के बारे में कम ही लोगों को पता है। जी हां हम बात कर रहे हैं रवि योग कि...

ऐसे बनता है रवि योग
ज्योतिष के अनुसार इस योग का निर्माण तब होता है जब सूर्य दसवें भाव में और दसवें भाव का स्वामी शनि के साथ तीसरे भाव में होना चाहिए।

जानकारों के अनुसार रवि योग भी सर्वार्थ सिद्धि योग की तरह अत्यंत शुभ और लाभदायक माना गया है। माना जाता है कि कुंडली में अकेला रवि योग अनेक अशुभ योगों को दूर करने में सक्षम रहता है। इसका कारण यह है नवग्रहों के राजा सूर्य से यह योग संबंधित होता है, इसके चलते यह रवि योग बेहद प्रभावशाली होता है।

रवि योग को लेकर ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि ऐसे जातकों को सूर्य की विधि विधान से पूजा करने के साथ हर इस योग में गाय को गेहूं खिलाने का भी विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्यदेव प्रसन्न होकर भक्त को आशीर्वाद पदान करते हैं। ऐसे में व्यक्ति की सूर्य कृपा से मन की हर इच्छा पूर्ण होने के साथ ही सभी प्रकार की परेशानियों से भी मुक्ति प्रािप्त होती है। वहीं किसी दिन के विशेष भाग में पडने वाले रवि योग की अवधि में प्रारंभ किए गए प्रयास कभी पूरी तरह असफल नहीं होते।

कहा जाता है कि रवि योग में कर्ज के बोझ से निकलने की कोशिश भी सफल हो जाती है। इसके साथ ही इस योग के दौरान जटिल ऑपरेशन आदि कार्यों में भी पूरी सफलता मिलती है। ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा का रवि योग के संबंध में कहना है कि सूर्य भगवान की कृपा पाने के लिए रवि योग सर्वश्रेष्ठ मौका है। ऐसे में जिस किसी दिन रवि योग पड़ रहा हो उस दिन जातक को ब्रह्रममुहूर्त में उठकर स्नानादि के पश्चात सर्वप्रथमे सूर्यदेव को अघ्र्य अर्पित करना चाहिए। वहीं जातक को अघ्र्य अर्पित करने के दौरान सूर्य देव के मंत्र- ऊॅं घृणि सूर्याय नमरू- या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिएं।

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इसके अलावा माना जाता है कि गाय को रवि योग में भीगा हुआ गेहूं खिलाने से विशेष लाभ होता है। इस योग के दौरान आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ विशेष फलदायी होने के साथ ही त्वरित फल भी प्रदान करता है। रवि योग वाले दिन सुबह सूर्य देवता की विधि विधान से पूजा करने के तहत आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। यहां ये भी ध्यान रहे कि आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ लगातार 5 बार करना है। पाठ पूर्ण होने के बाद हर बार सूर्य देव को जल अर्पित करें, जिसमें जल, रोली, अक्षत, लाला फूल व कुछ मीठा शामिल हो। माना जाता है कि रवियोग वाले दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से समस्त राजकीय कार्यो, राजनीति आदि में सफलता जरूर प्राप्त होती है।

वहीं ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में सूर्यदेव की अच्छी स्थिति में नहीं होते यानि यदि सूर्य नीच के हंै, अकारक हैं, शत्रु घरों में हैं, शत्रु राशियों में हैं या शत्रुओं से घिरे हुए हैं तो ऐसे जातकों कों रवि योग में सूर्यदेव की पूजा अर्चना अवश्य करनी चाहिए। कहा जाता है कि कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर होने पर दूसरे ग्रहों या योगों के भी पूर्ण फल नहीं मिल पाता है।

कुंडली में रवि योग-ऐसे समझें
किसी भी व्यक्ति के चार्ट में रवि योग एक व्यक्ति के रूप में उसके विभिन्न गुणों की ओर संकेत देता है। ऐसे लोग उच्च अधिकारियों और शासकों सभी का अत्यधिक सम्मान करते हैं। ऐसे जातक काफी पढ़े-लिखे हैं और विज्ञान से संबंधित विषयों के जानकार होते हैं। ऐसे जातक 15 साल की उम्र के बाद से काफी प्रसिद्धि प्राप्त करते हुए तेजी से आगे बढगे। जहां तक ऐसे जातकों के व्यक्तित्व की बात है तो ये हर चीज को लेकर अत्यंत भावुक होते हैं। लेकिन इन्हें सादा रहना और सादा खाना ही पसंद आता है। शारीरिक विशेषताओं के मामले में इनकी आंखें कमल जैसी जबकि छाती अच्छी विकसित होती है।