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आग में कूदकर इस लड़के ने बचाई थी 8 बच्चों की जान, अब इस वजह से है परेशान

आग में कूदकर बचाई थी जान, जलती गाड़ी को छोड़ भाग गया था ड्राइवर

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Gallantry Award

वीरता पुरस्कार

आजमगढ़. अपनी परवाह किए बिना किसी की मदद करना बहुत बड़ी बात है। इसका जीता जागता उदाहरण आज भी आजमगढ़ में है जिसने 11 साल की उम्र में अपने जान की परवाह किए बिना 8 बच्चों की जान बचाई थी। जिसके लिए उसे पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अपने हाथों से वीरता पुरस्कार से पुरस्कृत किया था। लेकिन आज वह इस हालात में है जिसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा। मदद के लिए इस लड़के ने कई पहल किए लेकिन सरकार भी इसकी मदद के लिए आगे नहीं आई। इस जाबांज ओमप्रकाश के पास आज कॉलेज की फीस भरने के पैसे तक नहीं है।

आग में कूदकर बचाई थी जान, जलती गाड़ी को छोड़ भाग गया था ड्राइवर
आजमगढ़ जिले के ओम प्रकाश के पास राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लगाए तमाम ऐसे लोगों के हाथों सम्मानित सर्टिफिकेट और गोल्ड मैडल है, जो आज उनके किसी काम के नहीं। इस बहादुर लड़के ने 11 साल की उम्र में जलती वैन में कूदकर 8 स्कूली बच्चों की जान बचाई थी। जिसके लिए उसे पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के हाथों वीरता पुरस्कार भी मिला चुका है।

ओम प्रकाश यादव का जन्म आजमगढ़ के एक छोटे से गांव में हुआ हैं। ओम के पिता लाल बहादुर यादव गुजरात में ऑटो चला के अपने परिवार का भरण-पोषण करते है। 4 सितंबर 2010 में जब वह ओम प्रकाश 7th में पढ़ते थे। स्कूल की छुट्टी के बाद वैन से घर जा रहे थे। उस समय वैन में ड्राइवर समेत 9 बच्चे थे। वैन एलपीजी गैस और पेट्रोल दोनों से चल रही थी। वैन जैसे ही ओम प्रकाश के घर के पास पहुंची उसमें एकाएक लीकेज होने लगा और धुंआ निकलने लगा। देखते ही देखते उसमें आग लग गई। गाड़ी में आग लगते ही ड्राइवर वैन छोड़कर भाग गया। इसके बाद इस लड़के ने तुरंत गाड़ी से बाहर आकर सभी बच्चों को उसमें से बाहर निकाला।


जलती वैन से बच्चों को बाहर निकालने में जल गया था ओमप्रकाश का चेहरा
ओमप्रकाश का चेहरा बच्चों को जलती वैन से बाहर निकालने में जल गया था। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से डॉक्टरों ने उसे बीएचयू रेफर कर दिया था। ओमप्रकाश के पापा ऑटो चलाते थे इसलिए उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि इसका इलाज करा सके तब उन्होंने ढाई लाख का लोन भी लिया था।

सरकार ने दिया अवार्ड, लेकिन नहीं मिली कोई मदद
इस पूरी घटना के बाद एमपी और एमएलए ओमप्रकाश से मिलने अस्पताल गये थे और इलाज का आश्वासन भी दिए थे। लेकिन शासन और प्रशासन की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली थी, बस अवार्ड दे दिया गया था।

बीटेक प्रथम वर्ष के हैं छात्र, लेकिन नहीं जुटा पा रहे फीस के पैसे
ओम प्रकाश गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय में बीटेक फस्टियर के स्टूडेंट हैं। कॉलेज में एडमिशन तो भारत सरकार के कोटे से हुआ, लेकिन फीस नॉर्मल बच्चों की तरह लगता है। फीस के पैसों को जुटा पाना दूर की कौड़ी साबित हो रही है। ओमप्रकाश साल 2010 में जले थे और 2012 में उन्हें अवार्ड दिया गया। उस समय स्टेट में सपा की सरकार थी, उस समय उसने गुहार भी लगाई लेकिन कुछ भी मदद नहीं मिली।

भिक्षाटन से भी नहीं मिली कोई मदद
ओमप्रकाश का भिक्षाटन का कदम उठाया तो डीएम ने एक टीम गठित किया। मुखबिर के लिए उस टीम के सीडीओ और तमाम तरह के अधिकारी उनके घर गए लेकिन आज तक उसके तरफ से भी कोई मदद नहीं मिली। आज पढ़ाई के लिए ओमप्रकाश के पास पैसे नहीं है।