शाहपुरा. वन विभाग की ओर से बुधवार सुबह 8 बजे से वन्यजीवों की गणना कार्य प्रारंभ किया गया। शाहपुरा में 10 वाटर हाल प्वाइंट पर कर्मचारी गणना कार्य में जुटे रहे। क्षेत्रीय वन अधिकारी मुकेश बाबूलाल शर्मा ने बताया कि वन्यजीव गणना वाटर हाल पद्धति की जाती है। जिसमें वन कर्मचारी वाटर हॉल प्वांइट से […]
शाहपुरा. वन विभाग की ओर से बुधवार सुबह 8 बजे से वन्यजीवों की गणना कार्य प्रारंभ किया गया। शाहपुरा में 10 वाटर हाल प्वाइंट पर कर्मचारी गणना कार्य में जुटे रहे। क्षेत्रीय वन अधिकारी मुकेश बाबूलाल शर्मा ने बताया कि वन्यजीव गणना वाटर हाल पद्धति की जाती है। जिसमें वन कर्मचारी वाटर हॉल प्वांइट से दूर पेड़ों पर मचान बनाकर निगरानी में बैठे रहते है। शाहपुरा में 10 रेंज क्षेत्र के देवन बीट के भैरूजी मंदिर लोबडावास रोड पर, देवीपुरा वाटर होल, काली पहाड़ी खोल का मंदिर, बिदारा वाटर होल, बिशनगढ़ बीट में अरडकी गौशाला, मामटोरी कला बीट में माधोदास जी मंदिर का खोल, मनोहरपुर बीट में भैरूजी मंदिर, राडावास बीट में भोमियाजी मंदिर, नायन बीट में पीर का तकिया और अमरसर बीट में काला खेत अमरसर में वाटर हॉल प्वाइंट पर 25 कार्मिक, वन्यजीव प्रेमी गणना कार्य में लगे हुए है। पैंथर, जरख जैसे वन्यजीवों की गणना को लेकर बिदारा एवं अमरसर प्वाइंटों पर ट्रेप कैमरे भी लगाए गए है।
कोटपूतली. एक महिने देरी से हो रही वन्य जीवों की गणना बुधवार को ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा से शुरू हुई। वन्य जीवों की गणना के लिए पांच ट्रैप कैमरों का भी उपयोग किया गया है। कोटपूतली में गणना के लिए 11 प्वांइट पर 11 टीमें में जुटी है। दो-दो वनकर्मी इन प्वाइंट पर पेड़ व ऊंचे स्थान पर बैठकर वन्य जीवों की गणना कर रहे हैं। रेंजर सतपाल ढिलान ने बताया कि पहले दिन नीलगाय, मोर, लाल व काले मुंह के बंदर अधिक नजर आए। पैंथर गर्मी के मौसम में रात को ही बाहर निकलते हैं। पैंथर शिकार के बाद भोजन को पचाने के लिए 10 से 12 घण्टे घूमता है। पूर्णिमा को चांद की रोशनी भरपूर होती है। इसलिए रात में वन्य जीवों की गणना वाटर हॉल पद्धति से शुरू की गई है।