
पशुपालकों में भ्रम, सरकारी ना हो जाए पशुधन
चौमूं. आधार कार्ड की तर्ज पर पशुओं की यूनिक आईडी बनाने के लिए उनके कान पर लगाए जाने वाले टैगिंग कार्य की रफ्तार पशुपालकों में भ्रम के चलते धीमी पड़ी है। कोरोना की वजह से तीन माह देरी से चला पशुओं का टैगिंग कार्य 20 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो पाया है। लक्ष्य पूरा करने में पशु चिकित्साकर्मियों को पसीना आ रहा है। खास बात ये है कि जब तक टैङ्क्षगग नहीं होगी, तब तक उस पशु का टीकाकरण नहीं हो पाएगा।
जानकारी के अनुसार चौमूं नोडल केन्द्र के अधीन करीब 88 हजार पशु हैं। इनमें से अब तक महज 14 हजार पशुओं के ही टैग लगाने का कार्य हो पाया है। पशुचिकित्सा अधिककारियों की मानें तो जागरुकता के अभाव में कई पशुपालक टैगिंग करवाने से मना कर रहे हैं, क्योंकि पशुपालकों में भ्रम बना हुआ है कि टैगिंग करने के साथ मवेशी सरकारी हो जाएंगे। बाजार में पशुओं का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाएगा। इस वजह से टीकाकरण में लगी टीम को कई जगह से बैरंग लौटना पड़ा है।
बॉक्स...पशुओं के नहीं होगा टीकाकरण
पशु चिकित्सकों ने बताया कि पशु चिकित्सकों ने बताया कि क्षेत्र में 12 अक्टूबर से एफएमडी टीकाकरण शुरू होगा, लेकिन इसके लिए पशुओं के टैग लगने जरूरी हैं। टैगिंग नहीं होने वाले पशुओं का टीकाकरण नहीं किया जाएगा। क्षेत्र में चिकित्सा टीमें लक्ष्य को पूरा करने में जुटी हुई हंै, लेकिन पशुपालकों की ओर कई जगह टैगिंग करने के लिए मना किया जा रहा है।
पशुपालकों की यह स्थिति
चिकित्साकर्मी महेन्द्र खटीक ने बताया कि टैगिंग को लेकर पशुपालकों में जागरूकता का अभाव नजर आ रहा है। टैगिंग से पशुओं के सरकारी होने, बेचने पर बाजार में भाव नहीं मिलने, पशु के बीमार पड़ जाने का भ्रम सुनने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि टैगिंग के साथ पशुपालकों को जागरूक भी किया जा रहा है।
टैगिंग के फायदे
चौमूं के पशु नोडल अधिकारी डॉ. नरेन्द्रकुमार शर्मा ने बताया कि यूनिक आईडी बनने के बाद कोई भी पशु चोरी या गुम होगा तो उसका तुरंत पता लग जाएगा। सरकार ने पशुओं का भी आधार कार्ड की तर्ज पर यूनिक आईडी बनाने का निर्णय किया है। इसके तहत पशुओं के कान पर प्लास्टिक टैग लगाया जा रहा है। इसमें 12 अंक का एक बार कोड डाला जाएगा। बार कोड में पशु की पूरी डिटेल फीड रहेगी। इस टैग के माध्यम से बैंक वगैरह से लोन भी मिलेगा। पशुपालन विभाग की योजनाओं का लाभ भी इसी टैंग के आधार पर मिलेगा।
पशुओं के कान फटने का डर
बांसा निवासी पशुपालक रमेश शर्मा ने बताया कि टैग लगाने के दौरान कान फटने और पशुओं को बेचने में भी परेशानी आने की अफ वाहें हैं। ऐसे में परिवार के लोग मना कर रहे हैं। वहीं शिम्भूपुरा निवासी पशुपालक बाबूलाल ने बताया कि टैग लगने से पशुओं के बीमार पडऩे का भ्रम है, लेकिन चिकित्सकों की ओर से लाभ बताने पर परिजन राजी हो गए हंै।
फैक्ट फाइल
चौमूं पशु नोडल केन्द्र के अधीन चिकित्सालय-10
क्षेत्र में सब सेंटर-14
पशुओं की संख्या-88 हजार 783
टैक लगे पशुओं की संख्या -14 हजार
इनका कहना है
पशुओं के टैग से पशुपालकों को कई तरह के फायदें मिलेंगे, लेकिन कई जगह पशुपालकों में विभिन्न तरह की अफवाए एवं भ्रम फैला है। इसे दूर करने के प्रयास किए जा रहे है। ताकि टीकाकरण शुरु होने से पहले टैगिंग का लक्ष्य पूरा जा सके।
डॉ. नरेन्द्र शर्मा, नोडल अधिकारी एवं पशुचिकित्सालय प्रभारी चौमूं
Published on:
04 Oct 2020 12:15 am
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