अश्विनी का कहना है कि उसने अपनी कला को कई सरकारी आयोजनों में बतौर प्रदर्शनी रखा। लेकिन हर बार उनसे डिग्री मांगी गई, जो वे पेश नहीं कर पाए। इसलिए सरकारी सहयोग से पिछड़ गए है। शहर के अलावा, वारासिवनी, बालाघाट, गोंदिया, सहित अन्य राज्यों में कलाकृतियां के शौकीन लोगों ने उनकी कृतियों को खरीद कर अपने घरों में सहेज कर रखा है।