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लकड़ी पर नक्काशी कर उकेर रहा अनेक आकृति

हाथों की ऐसी कला कि जो भी देखे वो अपने दांतों तले ऊंगली दबा लें। हर कोई उनकी तारीफ में कसीदे गढ़ता है।

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Bhaneshwar Sakure

Sep 01, 2016

balaghat

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बालाघाट.
हाथों की ऐसी कला कि जो भी देखे वो अपने दांतों तले ऊंगली दबा लें। हर कोई उनकी तारीफ में कसीदे गढ़ता है। यह कोई और नहीं बल्कि कटंगी कस्बे के अश्विनी सोनी की कला है। जो लकड़ी पर शानदार नक्काशी करते है। खास बात यह है कि इस कला को सीखने के लिए अश्विनी किसी स्कूल या कॉलेज में दाखिला नहीं लिया।बल्कि स्वयं की मेहनत से उसमें पारंगत हुआ है। वे अपनी इस कला को ईश्वरीय वरदान मानते है।

बकौल अश्विनी 30 वर्ष की आयु में कुछ नया करने की ललक जागी। उन्होंने लकड़ी पर हाथ चलाते हुए नक्काशी करना शुरू किया। देखते ही देखते उन्हें इस काम में महारत हासिल हो गई। आज उनकी कलाकृति को जो भी देखता वह दंग रह जाता है। आडम्बर और तामझाम से बचने के कारण अंचल की यह प्रतिभा अब तक छिपी हुई है। इस कलाकार ने ढेरों कलाकृतियां बनाई है पर वह उस दिन का इंतजार कर रहे हंै जब वो स्वयं अपने हाथों से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनकी बनाई हुई तस्वीर सौंपेंगे।

मदर टेरेसा की आकृति को उकेरा

वर्ष 2006 में अश्विनी ने सबसे पहले समाजसेवी मदर टेरेसा के आकृति को लकड़ी पर उकेरा। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सांई बाबा, भगवान गणेश सहित अन्य प्रतिमाएं बना चुके हैं। अब वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिमा बनाने की मंशा रख रहा है। अश्विनी की इच्छा है कि वे प्रधानमंत्री को अपने हाथों से उनकी प्रतिमा भेंट करें। उन्होंने मृग नयनी वारासिवनी में कोसे के कपड़ों पर पेंटिग का काम सीखा है। इन्हें मिट्टी की मूर्तियां, रद्दी कागज से सुंदर आकृति बनाने में भी महारत हासिल है। बीते दस सालों में वे लकड़ी की अनेक मूर्ति बना चुके है। लेकिन हस्तकला के घटते रूझान और मशीनरी युग को देखते हुए वह चितिंत है।

पेश नहीं कर पाए डिग्री

अश्विनी का कहना है कि उसने अपनी कला को कई सरकारी आयोजनों में बतौर प्रदर्शनी रखा। लेकिन हर बार उनसे डिग्री मांगी गई, जो वे पेश नहीं कर पाए। इसलिए सरकारी सहयोग से पिछड़ गए है। शहर के अलावा, वारासिवनी, बालाघाट, गोंदिया, सहित अन्य राज्यों में कलाकृतियां के शौकीन लोगों ने उनकी कृतियों को खरीद कर अपने घरों में सहेज कर रखा है।