
नदी, जलाशयों में किया गौर का विसर्जन
पति की दीर्घायु, परिवार की सुख समृद्धि और मंगलकामनाओं के लिए महिलाओं ने मंगलवार को निर्जला हरितालिका व्रत का शुरू किया था। बुधवार को गौर व फुलेरा विसर्जन के साथ व्रत का समापन किया गया। महिलाओं ने नदी, जलाशयों के तट पर गौर का पूजन कर विसर्जन किया। इसके बाद तीज का कठिन व्रत तोडकऱ अन्न जल ग्रहण किया।
महिलाओं के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अखंड जुड़ाव का प्रतीक है। इस दिन व्रतधारी महिलाएं भगवान शिव एवं माता पार्वती की विधिवत पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन गौरी-शंकर की विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह एक कठिन और सबसे लंबी अवधि का व्रत है। जो सूर्योदय से शुरू होकर दूसरे दिन सूर्योदय तक उपासक निराहार निर्जला रूप से व्रतधारी महिला और कन्याएं करती है। 26 अगस्त के सूर्योदय से प्रारंभ इस व्रत का 27 अगस्त के सूर्योदय में गौर विसर्जन के साथ समापन किया।
महिलाओं एवं युवतियों ने भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करके पति की दीर्घायु और सुयोग्य वर की मनोकामना की। व्रतधारी महिलाओं ने घरो में सुंदर मंडप के नीचे गौर को विराजित कर रातभर जागरण कर विधि, विधान से पूजन किया। पूजन में व्रतधारी महिलायओं ने पांच प्रकार के व्यंजन अर्पित कर रेत से भगवान शंकर और पार्वती के अक्श को हल्दी, कुमकुम, चंदन, बेलपत्र और भगवान शंकर एवं माता पार्वती को चढऩे वाले फल एवं सुहाग की सामग्री चढ़ाकर शुभ मुहुर्त पर पूजन कर मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगा।
नगरीय क्षेत्र के महामृत्युंजय घाट, शंकरघाट, गायखुरी घाट, देवटोला नहर में सुबह से ही गौर विसर्जन का सिलसिला प्रारंभ हो गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं ने भगवान शंकर और माता पार्वती के रेत से बनाए गए अक्श और गौर का विसर्जन किया।
Published on:
27 Aug 2025 07:57 pm
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