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बालोद

बच्चों के कुपोषण मुक्ति की योजना फेल, 20 फीसदी कुपोषित और 2 हजार अतिकुपोषित

जागरूकता और कुपोषण दूर करने के मामले में प्रदेश में अलग पहचान बनाने वाले बालोद जिले में कुपोषण स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इस जागरुक जिले में बचपन सुरक्षित नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि जिले के 20.30 प्रतिशत बच्चे कुपोषण (2031 बच्चे अतिकुपोषित) का दंश झेल रहे हैं।

बालोदAug 14, 2019 / 12:47 am

Chandra Kishor Deshmukh

balod patrika

बच्चों के कुपोषण मुक्ति की योजना फेल, 20 फीसदी कुपोषित और 2 हजार अतिकुपोषित

बालोद @ patrika. जागरूकता और कुपोषण दूर करने के मामले में प्रदेश में अलग पहचान बनाने वाले बालोद जिले में कुपोषण स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इस जागरुक जिले में बचपन सुरक्षित नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि जिले के 20.30 प्रतिशत बच्चे कुपोषण (2031 बच्चे अतिकुपोषित) का दंश झेल रहे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो कुपोषण को राष्ट्रीय शर्म माना है। इस स्थिति में चलाए गए जागरुकता अभियान पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है, वहीं कुपोषण के खिलाफ शासन-प्रशासन द्वारा छेड़ी गई जंग भी सवालों के घेरे में है।
डौंडीलोहरा में 26.72 प्रतिशत बच्चे कुपोषित
विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे अधिक कुपोषित बच्चों की संख्या डौण्डीलोहरा परियोजना अंतर्गत 26.72 प्रतिशत है, जबकि सबसे कम दल्ली राजहरा परियोजना में 09 प्रतिशत। इसके अलावा डौण्डी परियोजना में 16 प्रतिशत, देवरी में 22.93प्रतिशत। बालोद में 16.77 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं।
जितना सुधार आना था उतना नहीं आया
दरअसल शासन द्वारा बच्चों को कुपोषण के दंश से बाहर निकालने प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जा रहा है। बावजूद इसके कुपोषण के ग्राफ में जितना सुधार आना था उतना नहीं आया है। हालांकि विभागीय अमला कहता है जिले में बीते वर्ष के मुकाबले एक प्रतिशत की कमी आई है। पर अभी भी जिले के 20.30 बच्चे कुपोषित है। महिला एवं बाल विकास विभाग को कुपोषण दूर करने की जिम्मेदारी दी गई है। विभाग कुपोषण दूर करने प्रयासरत भी है।
दे रहे पूरक पोषण आहार से प्रोटीन
जिले की सभी 8 परियोजना अंतर्गत आंगनबाडिय़ों में पूरक पोषण आहार में नाश्ता और भोजन का मीनू निर्धारित। जिसके अनुसार प्रतिदिन बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान किए जाने के निर्देश हैं। आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को दूध, दलिया, रेड़ी टू ईट सहित कई पोष्टिक आहार कुपोषण दूर करने दिए जा रहे है। हालांकि कई जगहों पर इसका सही पालन हो नहीं पा रहा है।
चल रहा है राष्ट्रीय पोषण मिशन
भारत सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए जीवनचक्रएप्रोच अपनाकर चरणबद्ध ढंग से पोषण अभियान चलाया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में समयबद्ध तरीके से सुधार के लिए महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय पोषण मिशन का गठन किया गया है। राष्ट्रीय पोषण मिशन अन्र्तगत कुपोषण को चरणबद्ध तरीके से दूर करने के लिए आगामी 3 वर्षो के लिए लक्ष्य निर्धारित किये गये है।
पोषण मिशन के उद्देश्य एवं लक्ष्य
पोषण मिशन चलाकर 0 से 6 वर्ष के बच्चों में ठिगनेपन से बचाव एवं इसमें कुल 6 प्रतिशत, प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाना।
0 से 6 वर्ष के बच्चों का अल्प पोषण से बचाव एवं इसमें कुल 6 प्रतिशत, प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाना।
6 से 59 माह के बच्चों में एनीमिया के प्रसार में कुल 9 प्रतिशत, प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत की दर से कमी लाना।
15 से 49 वर्ष की किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री माताओं में एनीमिया के प्रसार में कुल 9 प्रतिशत, प्रतिवर्ष 3 प्रतिशत की दर से कमी लाना।
कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कुल 6 प्रतिशत, प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाने के प्रयास हो रहे हैं।
जिले में कुपोषण की स्थिति
परियोजना, सामान्य, मध्यम, अति कुपोषित
बालोद, 8106, 1419, 214
दल्लीराजहरा, 2331, 215, 34
डौंडी-1, 2995, 874, 150
डौंडी-2, 3390, 840, 151
देवरी, 5618, 1377, 296
डौंडीलोहारा, 5442, 1576, 408
गुंडरदेही, 11670, 2109, 413
गुरुर, 7775, 1634, 365
अधिकारी बता रहे ये कारण
जिला महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी बालोद एचआर राणा ने बताया मजदूर वर्ग के बच्चों के आहार पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण कुपोषण की स्थिति बनती है। ऐसे बच्चों की पहचान कर सुपोषण के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। शासन की योजना के तहत परियोजना के सभी आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों, गर्भवती व धात्री माताओं को पोषण आहार प्रदान किया जा रहा है। जिले में कुपोषण दर में कमी आ रही है।

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