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CG News: जंगलों से होकर और नाले पार करते हुए जर्जर छत वाले स्कूल चले हम, पूर्व मुख्यमंत्री से विधायक तक मांग रखी, अधूरी रही

CG News: बारिश के दिनों में नाले में पानी भरने पर स्कूल जाना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे वक्त में स्कूल बंद कर दिया जाता है। बच्चों की पढ़ाई इससे बाधित हो रही है।

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CG News: जंगलों से होकर और नाले पार करते हुए जर्जर छत वाले स्कूल चले हम, पूर्व मुख्यमंत्री से विधायक तक मांग रखी, अधूरी रही

स्कूल की छत जर्जर हालत में Photo Patrika)

CG News: ब्लॉक में चारपाली के आश्रित गांव रनकोट में प्राइमरी स्कूल के बच्चों की स्थिति चिंताजनक है। पहली से पांचवी कक्षा तक 43 बच्चे पढ़ते हैं। इन्हें घने जंगलों और बरसाती नालों को पार करते हुए स्कूल जाना पड़ रहा है। इन सभी बच्चों की पढ़ाई एकमात्र प्रधानपाठक के भरोसे है। स्कूल में कुल तीन कमरे हैं। इन तीनों की ही छत जर्जर हो चुकी है। बारिश होते ही छत टपकने लगती है।

स्कूल जाने का रास्ता कच्चा और उबड़-खाबड़ है। स्कूल के सामने सानो नाला है। बच्चे सुबह जान जोखिम में डालकर इस नाले को पार करते हैं। कीड़े-मकोड़े, सांप, बिच्छू नाले में रहते हैं। बारिश के दिनों में नाले में पानी भरने पर स्कूल जाना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे वक्त में स्कूल बंद कर दिया जाता है। बच्चों की पढ़ाई इससे बाधित हो रही है। सरकार की ओर से मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, स्कूल ड्रेस, साफ पानी, निशुल्क शिक्षा, सरस्वती साइकिल और मध्यान भोजन जैसी तमाम योजनाएं लागू हैं, लेकिन रनकोट गांव में बच्चों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

पूरा स्कूल एक प्रधान पाठक पर निर्भर है। 43 बच्चे पढ़ना चाहते हैं, लेकिन इकलौते शिक्षक और खराब बुनियादी ढांचे उनका भविष्य कमजोर बना रहे हैं। बिल्डिंग की हालत देखकर पालक भी चिंतित हैं कि पता नहीं कब प्लास्टर या पूरी की पूरी छत भरभराकर ढह जाए। पहले यह इलाका जब बलौदाबाजार जिले में आता था, तब तत्कालीन कलेक्टर चारपाली पहुंचे थे। ग्रामीणों ने उन्हें गांव ले जाकर अपनी समस्याएं बताईं। कलेक्टर ने उस वक्त आश्वासन दिया था कि नाला, सड़क और स्कूल की समस्या का समाधान जल्द होगा। यह आश्वासन कभी पूरा नहीं हुआ। उसके बाद कभी कोई अफसर रनकोट गांव में झांकने तक नहीं आए हैं।

किचन शेड तक नहीं, रसोइया हर दिन घर से पकाकर लाता है खाना

मध्यान भोजन योजना भी आधे-अधूरे हाल में संचालित है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्कूल में किचन शेड ही नहीं है। रसोइया रोज अपने घर से खाना बनाता है और स्कूल लाकर बच्चों को परोसता है। इससे कई बार भोजन वितरण प्रभावित होता है। उधर, नाले पर पुल न होने से बच्चों की जान पर खतरा होने के अलावा ग्रामीणों को भी काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। इमरजेंसी जैसे हालातों में कई बार लोगों का अस्पताल तक पहुंचना भी कठिन हो जाता है।

स्कूल जर्जर स्थिति में है। गांव में दूसरा कोई सरकारी भवन भी नहीं है। जहां तक एक शिक्षकीय स्कूल और किचन शेड की बात है, तो प्रशासन को इसकी सूचना भेज दी है। मंजूरी मिलते ही व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी।

  • फणेन्द्र सिंह नेताम, बीआरसीसी, बिलाईगढ़

जिला कार्यालय को जानकारी दी है। 15 अगस्त तक पर्याप्त शिक्षक की व्यवस्था कर ली जाएगी। नाले पर पुल के लिए प्रस्ताव बनाकर सरपंच, सचिव को भेजेंगे।

  • एसएन साहू, बीईओ, बिलाईगढ़

सभी ब्लॉक के बीईओ से जर्जर स्कूलों की जानकारी मंगाई गई है। पीडब्ल्यूडी या आरईएस से जल्द टेंडर मंगाकर काम करवाया जाएगा। शिक्षक के बारे में बीईओ बताएंगे।

  • नरेश चौहान, जिला समन्वयक, सारंगढ़

यह बजट से जुड़ा विषय है। फिलहाल जरूरी मीटिंग में हूं। बजट देखकर ही इस बारे में आगे कुछ बता पाऊंगा।

  • संजय कन्नौजे, कलेक्टर, सारंगढ़-बिलाईगढ़

ग्रामीणों ने बताया कि डॉ. रमन सिंह जब मुख्यमंत्री और डॉ. नंदकुमार दांजनम जांगड़े विधायक थे, तब ग्रामीणों ने कई बार आवेदन दिए। कोई ठोस सुधार नहीं हुआ। बाद में कांग्रेस सरकार में विधायक चंद्रदेव राय ने भी आश्वासन दिया, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। नाले पर पुल बनाने की कवायद कभी नहीं की गई। अब एक बार फिर भाजपा सरकार है। ग्रामीण और पालकों की मांग है कि पहले नहीं, तो सरकार अभी कोई ठोस कदम उठाए। उन्हें परेशानी से निजात दिलाए।