महंगाई, कानून-व्यवस्था, नई शिक्षा नीति, कोविड प्रबंधन पर सरकार को घेरेगा विपक्षनए मुख्यमंत्री करेंगे सत्ता पक्ष का नेतृत्व
बेंगलूरु.
राज्य विधानमंडल का दस दिवसीय मानसून सत्र सोमवार से शुरू होगा। यह सत्र 24 सितम्बर तक चलेगा। सत्र के दौरान कोविड-19 दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन किया जाएगा। पिछला सत्र बजट सत्र था जो 24 मार्च को समाप्त हुआ था।
नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के पद संभालने के बाद पहली बार सत्तारूढ़ भाजपा सदन में विपक्षी दल कांग्रेस और जद-एस का सामना करेगी। विधायी सत्र में विपक्षी दल एक साथ कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए तैयार हैं। इनमें महंगाई, कानून-व्यवस्था की स्थिति, कोविड-19 प्रबंधन में सरकार की कथित विफलता, मैसूरु बलात्कार मामला, नई शिक्षा नीति आदि प्रमुख हैं।
कांग्रेस ने बनाई रणनीति
सत्र के दौरान पार्टी की रणनीति पर चर्चा के लिए कांग्रेस ने अपने नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या की अध्यक्षता में बैठक की थी। बैठक के बाद सिद्धरामय्या ने कहा कि पार्टी महंगाई, कानून व्यवस्था की स्थिति और वित्तीय संकट का मुद्दा उठाएगी। मैसूरु में सामूहिक बलात्कार की घटना की ओर इशारा करते हुए विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति चिंता की बात है। हत्या, चोरी, जबरन वसूली और बलात्कार की घटनाएं सामान्य हो गई हैं। आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर भी सत्तारूढ़ दल को तीखे सवालों का सामना करना पड़ेगा। वहीं, कोविड-19 महामारी से निपटने में सरकार की कथित विफलता, ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों, बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए चलाए गए राहत कार्यों पर भी सरकार को जवाब देना पड़ेगा। उचित परामर्श के बिना नई शिक्षा नीति लागू करने का भी मुद्दा उठेगा।
क्षेत्रीय अस्मिता के मुद्दे भी उठेंगे
उधर, जद-एस विकास के मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। पार्टी क्षेत्रीय मुद्दे भी उठाएगी। कावेरी नदी पर तैयार की जाने वाली मैकेदाटू परियोजना, महादयी नदी पर कलसा-बंडूरी परियोजना के निर्माण का मुद्दा इनमें प्रमुख हैं।
सत्तारूढ़ दल के लिए नई शुुरुआत
वहीं, सत्तारूढ़ दल के लिए बोम्मई के नेतृत्व में यह एक नई शुरुआत होगी। मंत्रीपद नहीं मिलने से जहां पार्टी में असंतोष है वहीं, कई मंत्री अपने विभागों से संतुष्ट नहीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले विधानसभा सत्र में सत्ता पक्ष का नेतृत्व करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा इस बार ट्रेजरी बेंच की पिछली सीटों में से एक पर होंगे।
चुनावों का भी होगा असर
इस सत्र में स्थानीय निकाय चुनावों के परिणाम का असर भी देखा जा सकता है जो राजनीतिक दलों के लिए खट्टा-मीठा अनुभव दे गया। जहां भाजपा ने बेलगावी में सत्ता हासिल की वहीं अपने गढ़ हुब्बल्ली-धारवाड़ में बहुमत से पीछे रह गई और कलबुर्गी में दूसरे स्थान पर आई। यह सत्र आगामी तालुक और जिला पंचायतों के चुनावों से पहले भी आयोजित हो रहा है जिसपर राजनीतिक दलों की नजर रहेगी।
जातिगत जनगणना, आरक्षण पर भी होंगे सवाल
सत्र में जातिगत जनगणना (सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण) के आंकड़ों को सार्वजनिक करने के लिए नए सिरे से मांग भी हो सकती है। वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जातीय जनगणना कराई थी जो राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास है। पंचमशाली लिंगायत समेत विभिन्न समुदायों की ओर से मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में संशोधन की मांग का मुद्दा भी सदन में उठ सकता है।
सत्र में नई पहल भी
उधर, विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने पिछले सप्ताह कहा था कि सत्र के दौरान राज्य विधानमंडल की आचार समिति का गठन किया जाएगा साथ ही, सत्र के अंत में 'सर्वश्रेष्ठ विधायकÓ का पुरस्कार भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि 24 सितंबर को सत्र के आखिरी दिन विधायिका के दोनों सदनों का एक संयुक्त सत्र बुलाया जाएगा, जिसमें कार्यवाही में व्यवधान को रोकने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। सदन को संबोधित करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को आमंत्रित किया जाएगा। अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि मंत्रियों को सभी 10 दिन उपस्थित होना चाहिए। सत्र के दौरान अनुपस्थिति के लिए अनुमति मांगने वाले आवेदन तभी दें जब स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो।