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तंबाकू का सेवन न करें, यदि कर रहे हैं तो तुरंत छोड़ें: डॉ. होदा

ओरल कैंसर के करीब 90 फीसदी मरीजों ने तंबाकू का सेवन किया होता है। कैंसर के मामलों में करीब 40 फीसदी से ज्यादा मामले ओरल कैंसर के होते हैं। युवा पीढ़ी इससे ज्यादा प्रभावित है। कई ऐसे हैं जो तंबाकू सेवन व धूम्रपान के कारण कैंसर से किसी तरह बच तो गए, लेकिन अब वे जिंदा रह कर भी हर रोज मरने को मजबूर हैं।

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-ओरल कैंसर की रोकथाम में दंत चिकित्सकों की भूमिका अहम

मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) उन कैंसर में से एक है, जिसे रोका जा सकता है। लोगों को तंबाकू Tobacco के बुरे असर के बारे में बताना होगा और कहना होगा कि वे इसका इस्तेमाल न करें या अगर कर रहे हैं, तो छोड़ दें।

ये बातें किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी में ओरल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नदीमुल होदा ने कही। वे बुधवार शहर के एक निजी डेंटल कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय ओरल कैंसर सम्मेलन Oral Cancer Conference को संबोधित कर रहे थे।

भारत ओरल कैंसर के सबसे ज्यादा मामलों वाला दूसरा देश

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में, ओरल कैंसर छठा सबसे आम तरह का कैंसर है, जिसमें भारत India का योगदान कुल बोझ का लगभग एक-तिहाई है। भारत ओरल कैंसर के सबसे ज्यादा मामलों वाला दूसरा देश है। भारत में, हर वर्ष लगभग 2.74 लाख नए मामले और करीब 52 हजार मौतें रिपोर्ट की जाती हैं। यह दुनिया भर में होने वाले मामलों का लगभग एक-चौथाई है। अधिकांश ओरल कैंसर के पीछे तंबाकू और इसके उत्पाद होते हैं। युवा मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जीभ का कैंसर ओरल कैविटी का सबसे खतरनाक कैंसर है।

हजारों जिंदगियां बचा सकते हैं

मुंह के कैंसर की रोकथाम में दंत चिकित्सकों की भूमिका को बेहद अहम बताते हुए डॉ. होदा ने कहा कि दंत चिकित्सक ही सबसे पहले मुंह के अंदर देखते हैं। घाव आदि देखकर कैंसर के पहले की अवस्था की पहचान कर संबंधितों को विशेषज्ञों के पास भेज हजारों जिंदगियां बचा सकते हैं। अगर कहीं सफेद या लाल पैच दिखता है और तीन सप्ताह से अधिक समय हो चुका है तो यह कैंसर के पहले की अवस्था हो सकती है।

90 फीसदी मरीजों ने किया होता है तंबाकू का सेवन

ओरल कैंसर के करीब 90 फीसदी मरीजों ने तंबाकू का सेवन किया होता है। कैंसर के मामलों में करीब 40 फीसदी से ज्यादा मामले ओरल कैंसर के होते हैं। युवा पीढ़ी इससे ज्यादा प्रभावित है। कई ऐसे हैं जो तंबाकू सेवन व धूम्रपान के कारण कैंसर से किसी तरह बच तो गए, लेकिन अब वे जिंदा रह कर भी हर रोज मरने को मजबूर हैं।