शहर में राज्य की पहली वन्यजीव फोरेंसिक विज्ञान लैब जल्द डीएनए जांच की सुविधा
बेंगलूरु. इंसान या जानवर, दोनों के खिलाफ हुए अपराधों की जांच और अपराधियों को सजा दिलाने में फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका प्रभावशाली रूप से बेहद अहम होती है। लेकिन, वन्यजीव अपराध से संबंधित प्रकरणों की त्वरित कार्यवाही के लिए प्रदेश में फोरेंसिक लैब नहीं है। अपराध साबित नहीं हो पाता है। अपराधी बचकर निकल जाते हैं। उदाहरण के लिए चेन्नमन केरे अचूकट्टू पुलिस ने 2020 में बाघ के करीब 365 नाखून जब्त किए थे। लेकिन, अब तक रिपोर्ट में देरी के कारण कोई कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है। वन विभाग को भयंकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
देहरादून या हैदराबाद भेजे जा रहे नमूने
फिलहाल कर्नाटक में एक भी वन्यजीव फोरेंसिक विज्ञान लेबोरेटरी (Wildlife Forensic Science Lab) नहीं है। कई मामलों में पकड़े गए लोग दावा करते हैं कि जब्त सामान मवेशी का मांस या हड्डियां हैं।
अपराध की पुष्टि के लिए अधिकारियों के पास एफएसएल रिपोर्ट की प्रतीक्षा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। वर्तमान में नमूने देहरादून या हैदराबाद भेजे जा रहे हैं।
2.7 करोड़ रुपए के साथ आधिकारिक मंजूरी मिली
रिपोर्ट में देरी के कारण कई मामलों में जांच धीमी हो गई है। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। फोरेंसिक की आड़ में अपराधी नहीं बच सकेंगे। वन्यजीव फोरेंसिक विज्ञान लैब का सपना साकार होने की राह पर है। करीब तीन महीने में बेंगलूरु को राज्य का पहला वन्यजीव एफएसएल मिल जाएगा। राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए 2.7 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। अधिकारियों के अनुसार लैब मार्च के अंत तक काम करना शुरू कर देगा।
केस की जड़ तक पहुंचने में मिलेगी मददस्टेट फॉरेंसिक साइंसेज लेबोरेटरी (एसएफएसएल) के निदेशक धर्मेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि वन्यजीव फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला आधुनिक उपकरणों से लैस होगी। डीएनए विश्लेषण और रूपात्मक विश्लेषण से केस की जड़ तक पहुंचने में आसानी होगी। शवों और प्रजातियों का पता लगाने के लिए जब्त किए गए नमूनों (नाखून, बाल, दांत और अन्य सामग्री) का डीएनए विश्लेषण जरूरी है। रूपात्मक विश्लेषण जानवरों की बनावट और भौतिक विशेषताओं का अध्ययन करके उनकी पहचान करने में मदद करता है।
वन्यजीव कार्यकर्ता शरत बाबू आर. ने बताया कि इस प्रस्ताव पर करीब एक दशक से चर्चा हो रही थी। लेकिन, राज्य सरकार ने आधिकारिक मंजूरी हाल ही में दी। वन्यजीवों से संबंधित अपराधों की जांच में मदद मिलेगी। लैब स्थापित होने से वन्य प्राणियों के सैंपलों के जांच यहीं पर होने लगेंगे। लैब में डीएनए जांच की सुविधा होगी जिससे वन्य प्राणियों से संबंधित आपराधिक मामलों की जांच में भी तेजी आएगी। विभाग की अपनी लैब होने से जानवरों की मौतों की असली वजह की जानकारी विभाग को समय रहते पता लग पाएगी और इसके अनुसार विभाग आगामी कदम भी उठा सकेगा। किसी भी क्षेत्र में किसी प्रजाति के कितने जानवर हैं, इसका भी पता आसानी से लगने लगेगा।
जेनेटिक सीक्वेंसिंग अहम
फोरेंसिक रिपोर्ट मजबूत सबूत के रूप में काम करेगी, खासकर उन मामलों में जहां कई गलतियां हैं। मौत के समय का पता लगाने, जेनेटिक सीक्वेंसिंग और अन्य विश्लेषण से बेहतर जांच में मदद मिलेगी।
-राजीव रंजन, प्रभारी प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव)