भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का अगला मिशन अप्रेल महीने के पहले सप्ताह में लांच होगा जिसके लिए श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर तैयारियां प्रगति पर हैं। यह पीएसएलवी सी-45 मिशन है जिसके तहत 30 उपग्रहों को तीन अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा।
8 अप्रेल को मिशन लांच होने की उम्मीद
बेंगलूरु. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का अगला मिशन अप्रेल महीने के पहले सप्ताह में लांच होगा जिसके लिए श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पर तैयारियां प्रगति पर हैं। यह पीएसएलवी सी-45 मिशन है जिसके तहत 30 उपग्रहों को तीन अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा।
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक यह मिशन 8 अप्रेल को लॉन्च करने की योजना है। मिशन के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के उपग्रह एमिसैट तथा 28 विदेशी उपग्रहों के अलावा तीन प्रायोगिक उपग्रह तीन अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किए जाएंगे। एमिसैट 420 किलोग्राम वजनी इलेक्ट्रोनिक इंटेलिजेंस उपग्रह है, जिसे धरती से 76 3 किलोमीटर ऊंची कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद पीएसएलवी के चौथे चरण (पीएस-4) की ऊंचाई को घटाकर नीचे लाया जाएगा और 504 किमी वाली कक्षा में 28 विदेशी उपग्रहों को स्थापित किया जाएगा। इसके बाद रॉकेट का चौथा चरण पीएस-4 और और नीचे आएगा जहां 48 5 किमी ऊंचाई पर वह एक उपग्रह प्लेटफार्म के रूप में स्थापित हो जाएगा। पीएस-4 तीन प्रायोगिक उपग्रहों का प्लेटफार्म बनेगा।
इन तीन प्रायोगिक उपग्रहों का निर्माण इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने किया है। यह इसरो का ही संस्थान है जिसके छात्रों ने यह उपग्रह तैयार किया है। इनमें एक हैमसैट भी है। इससे पहले इसरो ने एक मिशन में दो अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रह स्थापित किए हैं लेकिन एक मिशन में तीन अलग-अलग कक्षाओं में उपग्रह स्थापित करने का यह पहला प्रयोग है।