scriptबदस्तूर जारी रहा पटाखों का शोर और धुआं | The noise and smoke of the firefighters continued. | Patrika News
बैंगलोर

बदस्तूर जारी रहा पटाखों का शोर और धुआं

कागजों तक सीमित रहा सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार का निर्देश
खुलेआम हुई पटाखों की बिक्री
रात 10 बजे के बाद भी खूब फूटे पटाखे

बैंगलोरNov 08, 2018 / 07:35 pm

Ram Naresh Gautam

crackers

बदस्तूर जारी रहा पटाखों का शोर और धुआं

बेंगलूरु. दिवाली पर पटाखे फोडऩे को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समय सीमा के बाद भले ही राज्य सरकार ने भी सिर्फ रात 8 बजे से 10 बजे के बीच पटाखे फोडऩे का निर्देश जारी किया हो लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है।
दीपावाली के पूर्व मंगलवार को शाम से ही पटाखों की आवाज चारों ओर सुनाई देने लगी। न सिर्फ रात 10 बजे तक बल्कि देर रात तक पटाखों की रोशनी और धमाके हर ओर महसूस किए गए। यहां तक कि बुधवार सुबह से ही पटाखों का धूम-धड़ाका हर ओर देखा गया।
कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी), पुलिस विभाग और बृहद बेंगलूरु महानगरपालिका (बीबीएमपी) ने भी पटाखों को लेकर जुड़ी धार्मिक और परंपरागत मान्यताओं के कारण पटाखों को नियंत्रित करने पर ज्यादा जोर जबर्दस्ती नहीं दिखाई है।
अमूमन हर इलाके की सड़कों पर पटाखों की फुटकर दुकानें देखी जा रही हैं। इनमें से ज्यादातर गैर लाइसेंसधारी विक्रेता हैं जो सिर्फ दिवाली पर पटाखा बेचते हैं। इसी प्रकार पटाखे फोडऩे को लेकर भी किसी प्रकार की रोक टोक न के बराबर है।
पटाखों को नियंत्रित करना असंभव
केएसपीसीबी के एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बुधवार को कहा कि यह संभव नहीं है कि हर जगह पटाखों को नियंत्रित किया जाए।

नागरिकों को स्वत: इस पर गंभीरता दिखाने की जरुरत है कि वे सुप्रीम कोर्टके आदेश का पालन करें और निर्धारित अवधि में ही पटाखे फोड़ें। केएसपीसीबी या किसी भी अन्य एजेंसी के लिए यह संभव नहीं है कि वह हर जगह निगरानी करे और प्रत्येक आदमी को पटाखा फोडऩे से रोके।
पुलिस विभाग का भी यही कहना है कि उनके पास कानून और व्यवस्था वा नियंत्रण तथा अन्य प्रकार के अपराध आदि से जुड़े मामलों को देखने का पहले से ही काफी काम है।

इसलिए यह पूरी मशीनरी पटाखों को नियंत्रित करने पर नहीं लगाई जा सकती है।
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