सरकार की स्थिरता पर उठते सवालों के बीच रोज नए दावेदार आ रहे सामने, सिद्धरामय्या ने पहली बार कहा वे पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे
बेंगलूरु. कांग्रेस ने पूरे बहुमत के साथ कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीत कर अपनी सरकार बना तो ली लेकिन सरकार की स्थिरता एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। सत्ता गंवाने के बाद से भाजपा नेता लगातार कांग्रेस सरकार की अस्थिरता को हवा देने वाले बयान देते रहते हैं। कांगे्रस के नेता भी बार-बार यह आरोप लगा रहे हैं कि सरकार को अस्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन, सरकार को ज्यादा बड़ी चुनौती बाहर से नहीं बल्कि अंदर से मिल रही है। कांग्रेस के दो प्रमुख धड़े लगातार ऐसी बयानबाजी करते जा रहे हैं, जिससे बार-बार पार्टी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है और जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि पार्टी के अंदर सब कुछ सामान्य नहीं है।
प्रियांक खरगे ने भी रिंग में हैट फेंका
सबसे ताजा घटनाक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने खुद को मुख्यमंत्री बनने का दावेदार बताया है। राज्य के आइटी मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे से शुक्रवार को पत्रकारों ने उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं पर सवाल पूछा, तो जवाब में उन्होंने कहा कि अगर पार्टी हाईकमान उनसे मुख्यमंत्री बनने के बारे में पूछेगा, तो उनका जवाब हां होगा।
इससे पहले सोमवार को खरगे ने भाजपा पर हमला बोला था कि उनकी प्रदेश इकाई को कांग्रेस सरकार गिराने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से 1000 करोड़ रुपए मिले हैं। खरगे ने यह बात मंंड्या के कांग्रेस विधायक रविकुमार गनिगा के उस आरोप पर कही, जिसके मुताबिक भाजपा की टीम ने उन समेत चार कांग्रेस विधायकों से संपर्क किया था। सभी को पार्टी बदलने के बदले 50 करोड़ कैश और मंत्री पद देने की बात कही गई थी।
सिद्धरामय्या की नाराजगी झलकी
उधर, मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने दावा किया कि वे पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे। पत्रकारों ने ढाई साल के बाद सीएम बदलने की संभावनाओं को लेकर उनसे सवाल पूछे थे। सिद्धरामय्या इससे काफी नाराज नजर आए। यह पहली बार है, जब उन्होंने इतने पुरजोर ढंग से अपनी बात रखी। माना जा रहा है कि सिद्धरामय्या का यह बयान मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं तलाश रहे डीके शिवकुमार समेत अन्य नेताओं को जवाब है। सिद्धरामय्या का बयान उस वक्त आया, जब कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला और केसी वेणुगोपाल ने राज्य के नेताओं को पॉवर शेयरिंग के मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कुछ भी बोलने से मना किया हुआ है। बयानबाजी का ताजा दौर उस वक्त शुरू हुआ जब पूर्व मंत्री रमेश जारकीहोली ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस नीत सरकार महाराष्ट्र की तरह गिरेगी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सरकार को किसी बाहरी के बजाय अंदर से खतरा है और सरकार के गिरने के लिए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार एंड कंपनी जिम्मेदार होगी।
सरकार बनते ही शुरू हुई थी बयानबाजी
सिद्धरामय्या ने मई में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई लेकिन, उसके बाद भी इस मुद्दे पर बातचीत बंद ही नहीं हुई। कुछ माह पहले कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद न सिद्धरामय्या के खिलाफ खुलकर नाराजगी जताते हुए यह सिलसिला शुरू किया था। उसके बाद से पार्टी का एक धड़ा यह प्रचारित करता रहा है कि सिद्धरामय्या पूर्णकालिक मुख्यमंत्री नहीं हैं और डीके शिवकुमार ढाई साल बाद सीएम पद संभाल सकते हैं। दोनों पक्षों से नेतृत्व परिवर्तन को लेकर काफी बयानबाजी हुई हैं।
सीएम को समर्थन की कमी नहीं
ऐसा नहीं है कि सभी सिद्धरामय्या के खिलाफ हैं। मंत्रिमंडल में ऐसे कई मंत्री हैं, जो सिद्धरामय्या को सपोर्ट कर रहे हैं। यह दूसरा धड़ा लगातार कह रहा है कि सिद्धरामय्या पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। पिछले दिनों विधायक बसवराजू वी. शिवगंगा ने टिप्पणी की थी कि आने वाले बरसों में डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। उसके बाद आवास मंत्री जमीर अहमद खान ने इस बयान का विरोध करते हुए कहा कि सिद्धरामय्या को पांच साल का कार्यकाल पूरा करना चाहिए।