
स्वर्ग जैसी जगह जाने के लिए नर्क जैसा रास्ता : चाचाकोटा-काकनसेजा सडक़ पूरी तरह से खस्ताहाल, जिम्मेदार बेपरवाह
बांसवाड़ा. बारिश के दिनों में माही डेम व उसके बैक वाटर क्षेत्र में स्र्वग जैसी जगह हो जाती है। जी हां हम बात कर रहे है कांकनसेजा गांव से लेकर चाचाकोटा गांव की यहां एक ही बारिश में धरा पर चहुंओर हरियाली की चादर बिछ गई है और यहां छुट्टियों के दिनों में पूरे इलाके में घूमने वालों का मेला लग जाता है। अगर हम विकास की बात करे तो न इन गांवों में अच्छी सडक़ है और न ही बिजली है। यह वही क्षेत्र में जो सौ टापुओं के नाम से जाने जाना वाला माही के बैकवाटर क्षेत्र का चाचाकोटा गांव है इन टापुओं को देखने के लिए लोग दूर दराज से यहा आते है।
लेकिन जब सडक़ की हालत देखकर दुखी हो जाते इन गांव की सडक़ में केवल पत्थर ही बचे है जिसमें पैदल चलना मुश्किल होता है। गांव की कंकू ने बताया कि यहां जनप्रतिनिधि जब वोट डालने का समय आता है तक सडक़ पानी बिजली की सभी की व्यवस्था कर दूंगा उसके बाद भूल जाते है। काम कुछ भी नही होता है। नाम की सडक़ माही डेम से कांकनसेजा गांव की चार किलोमीटर की सडक़ में केवल बड़े बड़े पत्थर ही बचे है डामर तो गायब हो गया है ऐसी सडक़ होने के कारण कोई भी इस जगह जाने के लिए डरता है कि कही गाडी का टायर पंचर न हो जाये।
इन गांवों में नही हुई कलक्टर की रात्रि चौपाल
माहीडेम कांकनसेजा चाचाकोट इन इलाके में कलक्टर की रात्रि चौपाल भी नही हुई है अगर यहां अधिकारी गांव को दौरा करते तो सडक़ो की ये हालत नही होती। 12 साल पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जब 2007 में कांकनसेजा गांव के पास टापू में रात्रि विश्राम किया था तब उस समय इस सडक़ का डामरीकरण किया गया था इसके बाद आज तक इस सडक़ का किसी अधिकारी ने ध्यान नही रखा।
Published on:
23 Jul 2019 02:07 pm
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