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एक टीचर 80 बच्चे पांच कक्षाएं, तबेले में बच्चे कैसे आएं,….देखा है कभी ऐसा स्कूल

खास बात तो यह है कि पहली से पांचवीं कक्षा को पढ़ाने के लिए एकमात्र शिक्षक लगाया हुआ है। खुले आसमान के नीचे पढऩे को मजबूर हैं

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छबड़ा. बारां जिले के छबड़ा उपखंड मुख्यालय पर पिछले 17 सालों से राजकीय प्राथमिक विद्यालय षष्टम टीन शेड और खुले आसमान तले संचालित हो रहा है। खास बात तो यह है कि पहली से पांचवीं तक की कक्षा को पढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा यहां एकमात्र शिक्षक लगाया हुआ है। पूरे शिक्षा सत्र में बच्चे तेज सर्दी, भीषण गर्मी व बरसात के दिनों में खुले आसमान के नीचे पढऩे को मजबूर हैं।
वर्षाकाल में तो चारों ओर से पानी की बौछार और टीन शेड टपकने से अधिकांशत: बच्चों की छुट्टी रहती है। कई बार अधिकारियों से इस स्कूल के भवन निर्माण या इसे अन्यत्र अनुपयोगी भवनों में स्थानांतरित करने की मांग की गई, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में वर्षों बाद भी यह स्कूल पालिका के पुराने कायन हाउस में खुले में ही संचालित हो रहा है।

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यह है स्कूल की स्थिति
कभी इस स्कूल परिसर में नगरपालिका का कायन हाउस संचालित होता था। वर्ष 2001 से यहां 35 बच्चों के नामांकन से स्कूल शुरू किया गया। जिसमें वर्तमान में 80 बच्चे अध्यनरत हैं। यह विद्यालय बिना भवन के 40 गुणा 40 वर्ग के मैदान में जर्जर टीन शेडों में एवं खुले आंगन में चल रहा है। पहली से पांचवी तक के सारे बच्चे एक साथ ही बैठते हैं। जगह कम होने से शौचालय के गेट के सामने तक बच्चों को बैठाना पड़ता है। नल कनेक्शन नहीं होने से बच्चे इधर-उधर से पोषाहार बनाने व स्कूल-शौचालय की सफाई के लिए पानी का इंतजाम करते है। स्कूल में एकल अध्यापक के रूप में ओमप्रकाश मेघवाल को लगाया हुआ है, जो सारा काम स्वयं करते है।

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बीएलओ का जिम्मा भी
स्कूल के एकल अध्यापक को ही निर्वाचन विभाग ने बीएलओ का कार्य भी संभलाया हुआ है। ऐसे में कई बार जाना भी पड़ता हैं। जिसके चलते स्कूल में ताला लगाना पड़ता है। अभिभावकों का कहना हैं कि जिला कलक्टर ने भवन बनाने के लिए भूमि आवंटन के आदेश भी दे रखे है, लेकिन यह अब तक कागजों में हैं। स्कूल में कम से कम तीन अध्यापकों व खेल मैदान की आवश्यकता है।

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& कई बार स्कूल स्थानांतरित करने के लिए या नवीन भवन बनाने के लिए अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। वह अपने स्तर पर अकेले ही जैसे भी अच्छा हो रहा है, स्कूल चला रहे हैं। ओमप्रकाश मेघवाल, प्रधानाचार्य


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