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शेरगढ़ सेंचुरी के हृदय ‘सुरपा’ में 125 बीघा वनभूमि से अतिक्रमण हटाया

क्त भूमि को 16 मार्च 2025 को ही राजस्व एवम वन विभाग के द्वारा सयुक्त सर्वे कर चिन्हित कर लिया गया था। अतिक्रमण से मुक्त करवाई गई भूमि पर लगभग 950 मीटर लम्बी खाई खोद कर भूमि को वन विभाग के कब्जे में लिया गया।

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बारां

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Mukesh Gaur

Apr 26, 2025

क्त भूमि को 16 मार्च 2025 को ही राजस्व एवम वन विभाग के द्वारा सयुक्त सर्वे कर चिन्हित कर लिया गया था। अतिक्रमण से मुक्त करवाई गई भूमि पर लगभग 950 मीटर लम्बी खाई खोद कर भूमि को वन विभाग के कब्जे में लिया गया।

क्त भूमि को 16 मार्च 2025 को ही राजस्व एवम वन विभाग के द्वारा सयुक्त सर्वे कर चिन्हित कर लिया गया था। अतिक्रमण से मुक्त करवाई गई भूमि पर लगभग 950 मीटर लम्बी खाई खोद कर भूमि को वन विभाग के कब्जे में लिया गया।

9:15 घंटे तक चली कार्रवाई, पांच दर्जन से अधिक अधिकारी कर्मचारी व 6 जेसीबी मशीनों की ली सहायता

कवाई. क्षेत्र के शेरगढ़ अभयारण्य के अंतर्गत आने वाले सूरपा में शुक्रवार को प्रशसन ने 125 बीघा भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया।

क्षेत्रीय वन अधिकारी जितेंद्र खटीक ने बताया कि जिला कलक्टर एवं वन्यजीव कोटा के डीसीएफ अनुराग कुमार भटनागर के मार्गदर्शन उपखंड अधिकारी ओमप्रकाश चंदोलिया के सहयोग से रेंज वन्य जीव अभयारण्य शेरगढ़ की टीम, दिनेश नाथ वन्य जीव अभ्यारणय भैंसरोडगढ़ एवं टीम, उडऩदस्ता प्रभारी सुरेन्द्र ङ्क्षसह भाटी, मोठपुर थानाप्रभारी मांगीलाल सुमन की अगुवाई में हथियार बंद जाप्ता, बीसीएमओ अटरु से एंबुलेंस एवं मेडिकल टीम, शेरगढ़ बडोरा पटवारी द्वारा बारापाटी के नामी घाटी सूरपा से अतिक्रमण हटाने का यह अभियान चलाया गया। कार्रवाई के दौरान मुकेश नाथ, रमेश चंद वर्मा, बुद्धराम जाट, रामभजन मीणा, प्रेम कंवर (सहायक वनपाल), नरेंद्र वैष्णव, अनिता चौधरी, चन्दन, पूजा वनरक्षक रहे। उक्त कार्रवाई में कुल 42 वन कर्मी, 11 पुलिसकर्मी व उच्च अधिकारी शामिल थे। इन्होंने प्रात: 7.15 बजे मौके पर पहुंचकर सांय 4.30 बजे तक कार्रवाई की। इस दौरान 6 जेसीबी मशीनों की सहायता से 125 बीघा भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करवाया गया। उक्त भूमि को 16 मार्च 2025 को ही राजस्व एवम वन विभाग के द्वारा सयुक्त सर्वे कर चिन्हित कर लिया गया था। अतिक्रमण से मुक्त करवाई गई भूमि पर लगभग 950 मीटर लम्बी खाई खोद कर भूमि को वन विभाग के कब्जे में लिया गया। मौके पर ही अतिक्रमण हेतु की गई फेंङ्क्षसग एवम पत्थर की कच्ची दीवार को गिराकर खुर्द- बुर्द किया गया।

कम क्षेत्रफल के बाद भी सुरक्षित है शेरगढ़

वन्य जीव अभयारण्य शेरगढ़ बारां जिले का एकमात्र अभयारण्य है। यह अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण वन्यजीवों के लिये काफी सुरक्षित है। यह 9880.60 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इसके कम क्षेत्रफल के होने के बावजूद इसमें विभिन्न प्रकार के वन्य जीव बहुतायत में हैं। इनका संरक्षण आमजन के सहयोग के बिना सम्भव नहीं है। अत: वन विभाग आमजन से अपील करता है कि वे वन क्षेत्र की सुरक्षा एवं संरक्षण में सहयोग करें। अवैध वृक्ष कटाई,अनियंत्रित चराई, वन भूमि पर अतिक्रमण व आगजनी से पर्यावरण को अपूरणीय क्षति होती है। ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी मिलने पर नजदीकी वन कार्यालय को सूचित करें। आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी।

वन विभाग यह पुन: स्पष्ट करता है कि वन क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों के विरुद्ध भविष्य में भी इसी प्रकार की कठोर कार्रवाई जारी रखी जाएगी।

जितेंद्र खटीक, क्षेत्रीय वन अधिकारी, रेंज वन्यजीव अभयारण्य शेरगढ़


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