—बुवाई से पहले उपचारित किया बीज बारां जिले के बडग़ांव में सोयाबीन की अच्छी पैदावार की उम्मीद है। क्षेत्र में लगभग चार हजार बीघा में इसकी बुवाई हो रही है।
ग्रेडिंग करके बोया सोयाबीन
युवा प्रगतिशील किसान महावीर मालव ने बताया कि उन्होंने ग्रेडिंग करके सोयाबीन की बुवाई की है। किसान ने बुवाई से पहले मैनकोज़ेब से सोयाबीन के बीज को उपचारित भी किया। जिससे बुवाई के बाद बीज खराब ना हो और ना ही दीमक आदि लगे। किसान ने 22 किलो बीज प्रति बीघा के अनुसार बुवाई की है। पानी के निकास वाली चिकनी दोमट भूमि सोयाबीन के लिये अधिक उपयुक्त होती है। जिन खेतों में पानी रुकता हो, उनमें सोयाबीन न लें। ग्रीष्मकालीन जुताई 3 वर्ष में कम से कम एक बार जरूर करनी चाहिये।
प्रमाणित बीजों का प्रयोग
बारिश की फसल होने के कारण सोयाबीन में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। सोयाबीन में खरपतवार होने पर निराई-गुड़ाई जरूर करवाते हैं। यदि खेत में खरपतवार खत्म नहीं हो, तो खरपतवार नाशक का छिड़काव भी करते हैं। सोयाबीन की फसल को इल्लियों से बचाने के लिए प्रमाणित दवाओं का ही प्रयोग करते हैं। किसान महावीर का कहना है कि पूरी फ सल के दौरान आए खर्चे को निकालने के बाद लगभग 10,000 से 12,000 रुपए तक की बचत हो जाती है।
जितेंद्र नायक — बडग़ांव