
बरेली। जिस भड़काऊ लेटर ने बरेली की फिजा में ज़हर घोलकर शहर को बवाल की आग में झोंक दिया, वही लेटर अब पुलिस के हाथ लग चुका है। पुलिस ने यह विवादित पत्र सीधे मौलाना तौकीर के करीबी और आईएमसी नेता नदीम के घर से बरामद किया है। इस खुलासे के बाद दंगा साजिश की परतें एक-एक कर खुलने लगी हैं।
पुलिस ने आरोपी नदीम को अदालत से 4 घंटे की रिमांड पर लिया। इसी रिमांड के दौरान पुलिस उसे मेडिकल परीक्षण के लिए कड़ी सुरक्षा में जिला अस्पताल लेकर पहुंची। नदीम के अस्पताल पहुंचते ही प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया और पूरा इलाका छावनी में तब्दील कर दिया गया। कई थानों की फोर्स, पीएसी और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर डटे रहे, जबकि अस्पताल के आसपास के सभी रास्ते पूरी तरह सील कर दिए गए।
एसपी सिटी मानुष पारीक के मुताबिक, बरामद लेटर वही है, जिसे वायरल कर लोगों को एक जगह जुटने के लिए उकसाया गया था। आरोप है कि इस पत्र के जरिए माहौल को जानबूझकर भड़काया गया, जिससे बरेली में तनाव फैल गया और हालात बेकाबू हो गए। पुलिस का दावा है कि यह कोई सामान्य पत्र नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश का लिखित हथियार था। इस मामले में पहले ही लियाकत नामक व्यक्ति की शिकायत पर नदीम और मौलाना तौकीर रज़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। शिकायत में आरोप है कि लियाकत के नाम और हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर भड़काऊ लेटर तैयार कराया गया और उसे सोशल मीडिया के जरिए तेजी से फैलाया गया।
बरामद पत्र को पुलिस ने जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजने की तैयारी कर ली है। अब जांच इस बात पर केंद्रित है कि लेटर किसने लिखा, किसके इशारे पर वायरल किया गया और इस दंगा साजिश में और कौन-कौन चेहरे शामिल हैं। प्रशासन ने साफ संकेत दे दिए हैं बरेली को आग में झोंकने की साजिश रचने वालों पर कानून का सबसे कठोर प्रहार होगा। चाहे रसूख कितना भी बड़ा क्यों न हो, दंगा भड़काने वालों की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।
26 सितंबर को इस्लामिया ग्राउंड में भीड़ जुटाने का खुला आह्वान किया गया था। इसके बाद हालात तेजी से बिगड़े और कोतवाली थाना क्षेत्र के जिला पंचायत रोड पर स्थिति अचानक बेकाबू हो गई। जिला पंचायत गेट के सामने प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया और उपद्रवियों ने पुलिस बल पर अंधाधुंध पथराव शुरू कर दिया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस को लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर करना पड़ा।
लेकिन दंगाइयों की बर्बरता यहीं नहीं रुकी। पुलिसकर्मियों से हथियार, वायरलेस सेट और एंटी-राइट गन तक छीन ली गई, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती दी गई। पुलिस पर जानलेवा हमला किया गया—यह सीधे-सीधे राज्य की ताकत को चुनौती देने जैसा था।इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने दंगा, सरकारी कार्य में बाधा, सरकारी संपत्ति को नुकसान और पुलिस पर जानलेवा हमला जैसी कठोर धाराओं में अलग-अलग थानों में कुल 12 मुकदमे दर्ज किए। अब तक की कार्रवाई में पुलिस 100 से अधिक आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है।
इस मामले में पहले ही लियाकत की शिकायत पर नदीम और मौलाना तौकीर रज़ा के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। आरोप है कि फर्जी हस्ताक्षरों के सहारे तैयार किए गए पत्र को सोशल मीडिया पर वायरल कर भीड़ जुटाने और माहौल भड़काने की साजिश रची गई। बरामद लेटर को पुलिस ने जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है। जांच एजेंसियां अब यह खंगाल रही हैं कि पत्र किसने लिखा, किन माध्यमों से फैलाया गया और इस दंगा-साजिश में और कौन-कौन शामिल है।प्रशासन ने दो टूक कह दिया है—बरेली को जलाने वालों पर कानून का सबसे सख्त वार होगा। रसूख नहीं, अब सिर्फ कानून बोलेगा।
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Published on:
20 Dec 2025 01:13 pm
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