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बरेली

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलेगा अभियान, जानिए लक्षण और बचाव के उपाय

जनपद से फाइलेरिया को खत्म करने के लिए फाइलेरिया उन्मूलन अभियान 17 से 29 फरवरी तक चलाया जाएगा।

बरेलीFeb 08, 2020 / 08:46 am

jitendra verma

बरेली। जनपद से फाइलेरिया को खत्म करने के लिए फाइलेरिया उन्मूलन अभियान 17 से 29 फरवरी तक चलाया जाएगा। अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा घर-घर जाकर फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी। फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है ,खासकर परजीवी क्यूलैक्सफैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से । पीसीआई संस्था और स्वास्थ्य विभाग द्वारा फाइलेरिया के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए बरेली जनपद के स्कूलों में निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में हरूनगला पूर्व माध्यमिक विद्यालय में छठी ,सातवीं और आठवीं कक्षा के छात्र – छात्राओं को फाइलेरिया के बारे में जानकारी को लेकर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया।
ऐसे फैलता है फाइलेरिया
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. डीआर सिंह ने बताया जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और 8 से 10 साल बाद इस बीमारी के लक्षण सामने आते हैं। ऐसे व्यक्तियों को कैरियर (वाहक) कहा जाता है जो देखने में स्वस्थ होते हैं लेकिन उनके अंदर फाइलेरिया के विषाणु होते हैं। इस बीमारी से बचाव हेतु दवा खिलाई जायेगी। दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार लोगों को यह दवा नहीं खिलायी जायेगी l
फाइलेरिया के लक्षण

आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में पैर हाथी के पांव के समान सूज जाते हैं इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव भी कहा जाता है।
फाइलेरिया से बचाव

फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें।पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रहें। सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगा लें , हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवा लगा लें।

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