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पन्द्रह हजार की जरूरत, पन्द्रह सौ शिक्षक,75 हजार बच्चों का भविष्य अधरझूल में ?

- विशेष योग्यजन की शिक्षा पर असर, शिक्षकों की कमी से पढने-समझने में आ रही दिक्कत

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पन्द्रह हजार की जरूरत, पन्द्रह सौ शिक्षक,75 हजार बच्चों का भविष्य अधरझूल में ?

पन्द्रह हजार की जरूरत, पन्द्रह सौ शिक्षक,75 हजार बच्चों का भविष्य अधरझूल में ?

बाड़मेर. विशेष योग्यजन बच्चों की शिक्षा पर शिक्षकों की कमी भारी पड़ रही है। प्रदेश में ७४ हजार से ज्यादा एेसे बच्चों को पढ़ाने के लिए करीब पन्द्रह हजार विशेष अध्यापकों की जरूरत है लेकिन राज्य में मत्र १५०० ही अध्यापक कार्यरत है।

एेसे में सामान्य बच्चों के साथ इनको शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। इस उनके लिए ज्ञान को सीखना मुश्किल हो रहा है।

प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में सामान्य बच्चों के साथ हजारों चाइल्ड विथ स्पेशल नीड ( सीडब्ल्यूएसएन) पढ़ रहे हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार ने नियम बना रखा है जिसके तहत विशेष शिक्षक ही अध्ययन करवा सकते हैं, लेकिन प्रदेश में विशेष अध्यापक काफी कम है।

इन बच्चों की शिक्षा सामान्य बच्चों के साथ ही हो रही है। गौरतलब है कि विशेष योग्यजन की अलग-अलग २१ श्रेणियां निर्धारित है जिनकी श्रेणी के अनुसार विशेष शिक्षक पढ़ा सकते हैं। राइट टू एज्युकेशन के तहत आठ बच्चों पर एक विशेष शिक्षक लगाने का प्रावधान है जबकि प्रदेश सरकार की गाइडलाइन के अनुसार पांच बच्चों पर एक अध्यापक लगना है। इस हिसाब से प्रदेश में १४५०० अध्यापक लगने चाहिए लेकिन वर्तमान में पन्द्रह सौ शिक्षक की कार्यरत है।

पद सृजित करने से फायदा- प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे विशेष योग्यजन बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षक लगाने से जहां इन बच्चों को समझने, जानने का फायदा होगा।

वहीं हजारों बेरोजगारों के लिए नौकरी के अवसर भी खुलेंगे। स्पेशल एजुकेशन में ट्रेनिंग लेकर ये नवीन शिक्षण कार्य भी सीख सकते हैं।

वरिष्ठ विशेष अध्यापक की कमी- प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में वरिष्ठ विशेष अध्यापक की कमी चल रही है। वर्तमान में १९२ अध्यापक ही कार्यरत है। वहीं, २११ पदों की भर्ती निकली थी जो भी न्यायालय में मामला चल रहा है। इस पर बड़ी कक्षाओं में तो बच्चों को पढ़ाने वाले विशेष शिक्षकों का टोटा ही है।

पहचान कर दें फायदा- जिस विद्यालय में विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थी है, उनकी पहचान करके उनको शाला दर्पण पर चिन्हित किया जाए जिससे कि ऐसे विद्यार्थियों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सके।- मघाराम चौधरी, विशेष शिक्षक, राउप्रावि सांवलोर


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