कपूरड़ी, रोहिली और भाडखा में 11 खदाने हैं। इससे लगते ही लिग्राइट कोयला और बेंटोनाइट का क्षेत्र है। व्यवसायी भरत दवे बताते हैं कि बाड़मेर से मुल्तानी मिट्टी उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और गुजरात तक भेजी जाती है। भारत, सिंगापुर के मुकाबले पाकिस्तान के मुल्तान में यह ज्यादा पाई जाती है। इसी वजह से इसे मुल्तानी मिट्टी कहा जाता है। पाकिस्तान से भारत जिन 10 वस्तुओं का आयात करता है, उनमें मुल्तानी मिट्टी भी शामिल है।
डॉलर में खरीदते हैं मुल्तानी मिट्टी
मुल्तानी मिट्टी यहां तो 2500 से 3000 रुपए टन में खरीदी जा रही है, लेकिन विदेशों में इसका सौदा डॉलरों में होता है। सौंदर्य प्रसाधन कंपनियों में मांग बढ़ने से दाम भी बढ़ रहे हैं। मुल्तानी मिट्टी में सिलिका, आयरन, ऑक्साइड, चूना, मैग्रेशियम और पानी होता है। विशेष जलवायु और वातावरण में यह पाई जाती है। बाड़मेर में बेंटोनाइट व कोयले की खान के ऊपर इसकी परत है। यह बालों के लिए काफी उपयोगी है। इससे बालों और त्वचा को पोषण मिलता है। मुल्तानी मिट्टी बॉडी डिटॉक्स के लिए काफी उपयोगी है। बताया जाता है कि बीकानेरी भुजिया में भी मुल्तानी मिट्टी मिलाई जाती है, जिससे उसका स्वाद अलग ही आता है।
महीने भर तक बंधे रहते थे बाल
बाड़मेर-जैसलमेर से लेकर पाकिस्तान के सिंध इलाके तक ग्रामीण महिलाएं बाल गूंथती हैं। बालों को गूंथने के बाद में मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाती हैं, ताकि बाल लंबे समय तक बंधे रहे। जानकारी के मुताबिक इस इलाके में पानी की कमी रहती थी। ऐसे में महिलाएं महीनों तक बाल नहीं धो पाती थीं। ऐसे में वे एक बार बाल गूंथ लेती थीं, जिससे नुकसान भी नहीं होता।