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Gandhi jayanti: भारत-पाक बॉर्डर पर स्थित राजस्थान के इस गांव में आज भी जिंदा है बापू का चरखा, अब बुनकरों पर बेरोजगारी का संकट

Gandhi jayanti 2024: बुनकर जो कभी रेगिस्तान में चरखों के साथ सुबह-शाम काम करते थे, अब बेरोजगार है।

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भीख भारती गोस्वामी
Barmer News: गडरारोड़। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती एक ही दिन है। सीमावर्ती बाड़मेर जिले में एक गांव का नाम शास्त्रीग्राम है। यहां के लोगों का मूल काम गांधी के चरखे चलाकर रोजगार पाना रहा, लेकिन वर्ष 2000 के बाद यह कार्य बंद हो गया है। यहां कतवारिने और बुनकर जो कभी रेगिस्तान में चरखों के साथ सुबह-शाम काम करते थे, अब बेरोजगार है।

गांव में करीब 150 बुनकर और 450 कतवारिने हैं। वर्ष 1964 में माणिक्यलाल वर्मा ने खादी कमीशन की स्थापना राजस्थान में की तो बाड़मेर-जैसलमेर जिले में खादी कमीशन का काम प्रारंभ हुआ। बॉर्डर के गिराब के पास में भू का पार गांव था। यहां काम शुरू हुआ तो इसका नाम लाल बहादुर शास्त्री के नाम से शास्त्रीग्राम कर लिया गया। 1999 से बंदखादी कमीशन का राज्य का मुख्यालय बीकानेर था।

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अफसरों के लिए बाड़मेर-जैसलमेर बहुत दूर था, लिहाजा 1993 से 1999 के बीच में एक-एक कर केन्द्र बंद होते हुए। जो पहले स्टाफ लगा था वो सेवानिवृत्त हो गया और नए पद नहीं दिए गए। किसी ने पैरवी भी नहीं की और बाड़मेर-जैसलमेर के 16 केन्द्रों में कामकाज बंद हो गया, जिसमें शास्त्रीग्राम भी एक था।

अब तो तगारी उठानी पड़ती है

ऊन कातने में बहू, बेटी, सास सब पारंगत थी। काम करते ही पैसा मिलता था। यहां बॉर्डर पर महिलाओं को और क्या काम मिलता। अब तो तगारी उठानी पड़ती है। अब ऊन कातने का काम नहीं रहा है। भरी दुपहरी में औरतें तगारी उठाकर रोजगार पाती है। -सुरभीदेवी, कतवारिन

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