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राजस्थान में 1.25 लाख घरों को मिलेगा बिजली कनेक्शन, बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा के गांव होंगे रोशन

बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा क्षेत्र के 1.25 लाख से अधिक घरों के लिए लंबित विद्युतीकरण कार्यों के लिए 459.97 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की है। 1 अप्रैल 2019 से 30 सितंबर 2024 तक चिन्हित 1,25,318 घरों को विद्युत कनेक्शन देने के लिए यह राशि मंजूर की गई है।

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गर्मी-उमस में बिजली कटौती से बेहाल राजधानीवासी, दिन-रात 4 से 5 बार गुल हो रही सप्लाई...(photo-patrika)

गर्मी-उमस में बिजली कटौती से बेहाल राजधानीवासी, दिन-रात 4 से 5 बार गुल हो रही सप्लाई...(photo-patrika)

बाड़मेर: सीमांत क्षेत्रों की ढाणियों में वर्षों से इंतजार कर रहे लाखों परिवारों के घर अब रोशन होंगे। केंद्र सरकार बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा क्षेत्र के 1.25 लाख से अधिक घरों के लिए लंबित विद्युतीकरण कार्यों के लिए 459.97 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत की है। लोकसभा में सांसद उमेदाराम बेनीवाल की ओर से 16 दिसंबर 2024 को शून्यकाल के दौरान इन मुद्दों को उठाया गया था।


जानकारी के अनुसार, 1 अप्रैल 2019 से 30 सितंबर 2024 तक चिन्हित 1,25,318 घरों को विद्युत कनेक्शन देने के लिए यह राशि मंजूर की गई है। बाड़मेर की 71,464 ढाणियों में 186.37 करोड़, बालोतरा की 18,999 ढाणियों में 132.57 करोड़ और जैसलमेर की 34,455 ढाणियों में 141.03 करोड़ से विद्युतीकरण कार्य होंगे। इन कार्यों को धरती आभा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत शीघ्र पूरा करने के लिए टेंडर प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।


सीमांत क्षेत्र में आपूर्ति गंभीर चुनौती


सांसद बेनीवाल ने बिजली आपूर्ति की स्थिति को लेकर भी केंद्र को घेरा। कहा कि विद्युत अधिनियम 2020 की धारा 10 के तहत 24 घंटे बिजली आपूर्ति का प्रावधान है, लेकिन सीमांत क्षेत्र में हकीकत यह है कि ग्रामीण उपभोक्ताओं को सिर्फ 8 से 10 घंटे और किसानों को महज 3 से 4 घंटे बिजली मिल रही है। यह स्थिति स्पष्ट असमानता को दर्शाती है।


निर्बाध बिजली आपूर्ति लागू करने की मांग


उन्होंने सरकार से मांग की कि पूरे प्रोजेक्ट की त्वरित समीक्षा कर निष्पादन सुनिश्चित किया जाए और सीमांत ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति लागू की जाए। बेनिवाल ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता केवल कनेक्शन देना नहीं, बल्कि घर-घर तक अधिकारों का प्रकाश और आशाओं का सशक्तिकरण होना चाहिए।


सीमांत किसान और ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, ऐसे में योजनाएं दस्तावेजों तक सीमित न रहकर धरातल पर असर दिखाएं, यही जनप्रतिनिधित्व और सुशासन का असली उद्देश्य है।