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डेढ़ माह बीता, पेपर वायरल से किसे फायदा, पुलिस नहीं लगा सकी पता।

- डेढ़ माह बाद भी पुलिस खाली हाथ - आरपीएसी पेपर वायरल प्रकरण

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बाड़मेर. आरपीएसी की वरिष्ठ शिक्षक प्रतियोगी परीक्षा का हिंदी का पेपर सोशल मीडिया पर वायरल करने में मुख्य भूमिका निभाने वाला आरोपी पार्षद डेढ़ माह बाद भी पुलिस पकड़ से दूर है।

आरोपी को जमीन खा गई या आसमान निगल गया? पुलिस तमाम तकनीकी सहयोग व स्पेशल टीमें गठित करने के बावजूद भी आरोपी को पकड़ नहीं पाई है।

पहले पुलिस विधानसभा चुनाव का बहाना करती रही और अब पुलिस के आला अधिकारी ऐसे बेफिक्र हो गए हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।

आरपीएसी परीक्षा में पेपर वायरल होने के डेढ़ माह बाद भी पुलिस पूरी गुत्थी सुलझाने में कामयाब नहीं हुई है। इतने गंभीर मामले में कामयाब नहीं होना पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।

अहम बात यह है कि नए पुलिस अधीक्षक के कार्यभार संभालने के बाद जांच आगे नहीं बढ़ी है। हालांकि पुलिस अधीक्षक का कहना है कि जांच चल रही है, कुछ नया अपडेट नहीं है। इधर, जांच अधिकारी इतना कह मामला टाल रहे हैं कि पार्षद के पकड़ में आने के बाद मामला का पूरा खुलासा हो पाएगा।

संशय बरकरार....

पेपर वायरल मामले में डेढ़ माह बीतने के बाद भी कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किसे फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया। पेपर वायरल की गुत्थी सुलझाने में लगी पुलिस को डेढ़ माह से पार्षद की तलाश ही है।

पुलिस का मानना है कि पार्षद नरेशदेव के गिरफ्त में आते ही सारे मामले की गुत्थी सुलझ जाएगी। दूसरी तरफ अभ्यर्थियों में पेपर वायरल मामले को लेकर संशय बरकरार है।

यह था पूरा मामला

गत 1 नवंबर को केन्द्राधीक्षक लक्ष्मीनारायण सोनी, माधव कॉलेज व्यवस्थापक राणुमल व चपरासी बने पार्षद नरेशदेव सहित अन्य आरोपियों की मिलीभगत व षड्यंत्र रचकर पेपर वायरल करना पुलिस जांच में सामने आया था।

पड़ताल के बाद पुलिस ने आरोपी केन्द्राधीक्षक व व्यवस्थापक को गिरफ्तार किया। आरोपियों ने जुर्म स्वीकार कर लिया है। मामले में शामिल पार्षद पुलिस को अब तक नहीं मिला है।


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