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लैंगिक संवेदनशीलता ही महिला सशक्तिकरण का प्रथम पायदान

कार्यशाला का आयोजन

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लैंगिक संवेदनशीलता ही महिला सशक्तिकरण का प्रथम पायदान

लैंगिक संवेदनशीलता ही महिला सशक्तिकरण का प्रथम पायदान

बाड़मेर। श्योर संस्थान बाड़मेर एवं ल्यूसिड कोलाइड के सहयोग से संचालित सतत् ग्वार खेती परियोजना के तहत गुरुवार को लैंगिक संवेदनशीलता एवं महिला सशक्तिकरण विषयक कार्यशाला कृषि विज्ञान केन्द्र (दांता) में आयोजित की गई।

कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता एवं उन्न्ति संस्थान जोधपुर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. स्वप्नी ने मुख्य विषय विशेषज्ञ के रूप में कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता ही महिला सशक्तिकरण का प्रथम पायदान है। इसे सामुदायिक स्तर पर और अधिक पारदर्शी एवं व्यवहारिक बनने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं की समुचित भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान कार्य स्थल पर, प्रत्येक गतिविधि व कार्य निष्पादन के क्षेत्र में लैंगिक समानता को अपनाया जाना आज की जरूरत है। महिलाओं के योगदान की पहचान करते हुए उनके श्रम अधिभार में कमी लाने, प्रोत्साहन करने, ग्रामीण स्तर पर उनकी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर बल दिया।

संजीदा एवं संवेदनशील प्रयासों की आवश्यकता

श्योर संस्था की संयुक्त सचिव लता कच्छवाहा ने कहा कि लैंगिकता के प्रति संवेदनशील हुए बिना समाज का सर्वांगीण विकास होना संभव नहीं है। महिला सशक्तिकरण के लिए बालिका शिक्षा, महिला एवं बालिका स्वाथ्य, महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन एव उनके वित्तीय जुड़ाव के लिए संजीदा एवं संवेदनशील प्रयासों की आवश्यकता है। परियोजना प्रबंधक शिवगिरी स्वामी ने प्रतिभागियों से महिला सशक्तिकरण के प्रमुख पांच घटकों यथा सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, राजनीतिक व मनोवैज्ञानिक पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। केन्द्र के प्रभारी एवं मुख्य वैज्ञानिक डॉ. विनय कुमार, परियोजना समन्वयक कानाराम प्रजापत, कृषि वैज्ञानिक श्यामदास, हंसराज सेन, रेखा दातवानी, सोनाली शर्मा, भैरूलाल डांगी, शंकरलाल कांटवा ने भी उपयोगी जानकारी साझा की।