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साइंटिस्ट न कर सके बच्चों ने IAS संग कर दिखाया ऐसा experiment, बना अनोखा रिकार्ड

दुनिया के बड़े-बड़े साइंटिस्टस ने हजारों एक्सपेरिमेंट्स किए होंगे पर बस्तर के इन बच्चों ने एक आईएएस अफसर के साथ मिलकर जैसा एक्सपेरिमेंट किया वैसा आज तक पुरी दुनिया में नहीं हुआ।

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Ajay Shrivastava

Jan 18, 2017

Science exhibition bastar

Science exhibition bastar

जगदलपुर.
दुनिया के बड़े-बड़े साइंटिस्टस ने हजारों एक्सपेरिमेंट्स किए होंगे पर बस्तर के इन बच्चों ने एक आईएएस अफसर के साथ मिलकर जैसा एक्सपेरिमेंट किया वैसा आज तक पुरी दुनिया में नहीं हुआ। आप सोच रहे होंगे आखिरकार ऐसी कौन सी चीज है जो दुनिया के बड़े से बड़े वैज्ञानिक मिलकर भी नहीं कर सके।


दरअसल यहां बात, बस्तर में 18 जनवरी को हुए साइंस एक्जीबिशन की हो रही है। इसमें जिले के 45 हजार बच्चों ने एक साथ मिलकर 35 हजार से अधिक एक्सपीरिमेंट्स किए, 116 कलस्टर में अलग-अलग जगहों पर इसका प्रदर्शन भी किया। यह ऐसा अनोखा कारनामा था जो आज तक कभी नहीं हुआ था। अब इस कारनामे को लिम्का बुक्स ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज करने की तैयारी की जा रही है।


लिम्का बुक्स में स्कूली एक्सपेरिमेंट्स को लेकर जो पिछला रिकार्ड दर्ज है, वह आंध्रप्रदेश के ईस्ट गोदावरी का है। जहां 620 बच्चों ने 479 एक्सपेरिमेंट्स किए थे। ऐसे में अगर रिकार्ड की तुलना की जाए तो बस्तर का यह रिकार्ड आंकड़ों में बहुत ज्यादा भारी पड़ता दिखाई दे रहा है।


बुधवार को पण्डरीपानी क्लस्टर से पीडब्लूडी मंत्री राजेश मूणत व पर्यटन मण्डल अध्यक्ष बाफना ने इस विज्ञान प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। मंत्री मूणत ने कहा, इससे पहले उन्होंने कभी इसी तरह का एग्जीबिशन नहीं देखा है। अभावों के बावजूद बच्चों यहां के कलक्टर और बच्चों ने जो काम कर दिखाया है वह सराहनीय है।



आपको बता दें, इस वृहद एक्सपेरिमेंट और प्रदर्शनी के पीछे जिस आईएएस अफसर की बात हो रही है वह है, बस्तर कलक्टर अमित कटारिया। जिन्होंने बस्तर के बच्चों को साइंस से जोडऩे के लिए पूरे जिले को ही प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया। दरअसल जितना अनोखा यह एग्जीबिशन है, उतना ही अनोखा इसका कॉन्सपेट भी। इसमें बच्चों को कबाड़ से जुगाड़ कर विज्ञान की मदद से तरह-तरह की वैज्ञानिक एक्सपीरिमेंट्स करने थे।


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बच्चों ने भी हर उस चीज का प्रयोग में उपयोग कर डाला जो उन्हें आसानी से मिली। पानी की खाली बोतल से लेकर लकड़ी, डिब्बे और मिट्टी से लेकर घर के कचरे तक को उपयोग में लाया गया। ऐसी-ऐसी अनोखे चीजें बनाई जिसे देखकर कोई भी हैरान हुए बिना नहीं रह सकता। खास बात यह है, बस्तर के ज्यादातर स्कूलों में न लैब है और न कोई खास इक्विपमेंट्स इसके बावजूद बच्चों ने यह कारनामा कर दिखाया।



विज्ञान प्रदर्शनी में पहुंचे बच्चों ने एग्जीबिशन को लेकर अपने अनुभव साझा किए। पण्डरीपानी हाईस्कूल के ग्यारहवीं कक्षा के छात्र राजू कश्यप, मिठुराम, अभिषेक पाण्डेय अमरनाथ व उनके साथियों मिलकर इंजेक्शन की मदद से हाईड्रोलिक प्रणाली से जेसीबी बनाई थी। विज्ञान प्रदर्शनी में पहुंचे पीडब्लूडी मंत्री राजेश मूणत व पर्यटन मण्डल अध्यक्ष संतोष बाफना का भी ध्यान इस प्रयोग ने खिंचा था। राजू व साथियों ने बताया, इससे पहले विज्ञान उन्हें कठिन लगता था लेकिन प्रयोग के जरिए वे विज्ञान को ज्यादा आसानी से समझ सके। किताबी ज्ञान और प्रायोगिक ज्ञान में काफी अंतर है। दोनों अपनी जगह सही है पर प्रयोग के जरिए विज्ञान आसान और रोचक हो जाता है।



कलक्टर कटारिया ने कहा, यह एग्जीबिशन एक दिन में नहीं हुआ है। यह पूरे साल भर की मेहनत का नतीजा है। आज हर कोई विकास के नाम पर सड़क, पुल-पुलिया की बात करता है लेकिन बस्तर में प्रशासन ने बच्चों की बुनियादी शिक्षा पर काम किया है। इसके लिए प्रशासन की पूरी टीम जमीनी स्तर पर काम कर रही है। माहवार बच्चों के प्रोग्रेस की मॉनिटरिंग की जाती है।


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एसएमसी के जरिए हर दो माह में बच्चों के माता-पिता को बुलाकर बच्चों का रिपोर्ट कार्ड बताया जाता है ताकि उन्हें घर पर भी उचित माहौल मिले। इसके नतीजे दिखाई दिए शिक्षा गुणवत्ता में 2015-16 के सत्र में तीसरी और पांचवी कक्षा के विद्यार्थियों का स्तर प्रदेश में सबसे अव्वल रहा, जो बस्तर के लिए बड़ी उपलब्धि है। एक साल पहले भी विज्ञान मेला के जरिए बच्चों को विज्ञान से जोडऩे की कोशिश की गई थी और अब इस दिशा में एक कदम और बढ़ाया गया है।

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