
फर्नीचर खरीदने के लिए मिले फंड तक को अधिकारी ने दबा दिया
बेमेतरा. संयुक्त जिला कार्यालय (कंपोजिट बिल्डिंग) में संचालित विभागीय कार्यालय में फर्नीचर के लिए जारी किया गया 25 लाख का फंड खर्च करने में लोक निर्माण विभाग पीछे रह गया। मजबूरी में विभागों को अपने मद से फर्नीचर खरीदना पड़ा। फंड होने के बाद भी सुविधा मुहैया नहीं कराए जाने का खुलासा होने पर अब लोक निर्माण विभाग के अधिकारी खर्च की गई राशि को देने की बात कह रहे हैं।
25 लाख मिले थे फर्नीचर के लिए
करोड़ों की लागत से बने संयुक्त जिला कार्यालय में 16 अगस्त 2017 से तमाम शासकीय विभागों के कार्यालय लगने शुरू हो गए हैं। इन कार्यालयों के लिए एक वर्ष पूर्व ही फर्नीचर व अन्य सामग्रियों की खरीदी के लिए 25 लाख रुपए का फंड जारी किया गया था, लेकिन इस राशि में से लोक निर्माण विभाग ने करीब एक लाख 40 हजार रुपए ही खर्च किया है, जिसके बाद आज भी विभाग के खाते में 23 लाख 60 हजार का फंड है।
अधिकारी पर कार्रवाई के दिए थे निर्देश
साज-सज्जा के लिए भारी भरकम राशि जारी होने की जानकारी होने पर पूर्व में पदस्थ कलक्टर कार्तिकेय गोयल ने रकम रोककर रखने वाले अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए थे, जिसके बाद भी लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदारों पर आज तक कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं आज भी लोक निर्माण विभाग इस राशि को खर्च करने में को लेकर किसी प्रकार की रुचि नहीं दिखाई गई है।
टूटी-फूटी कुर्सियों पर बैठने की मजबूरी
फर्नीचर के लिए राशि खर्च नहीं करने का नतीजा है कि संयुक्त जिला कार्यालय में आज भी पुराने कार्यालय में इस्तेमाल किए जाने वाले फर्नीचरों से ही काम चलाया जा रहा है। वहीं कामकाज के सिलसिले में आने वाले लोगों को इन्हीं टूटी-फूटी कुर्सियों में बैठना पड़ता है। इसके अलावा अनेक जरूरत के स्थानों पर कुर्सियां तक नहीं है, जिससे लोगों को परेशान का सामना करना पड़ता है।
बाहर से भवन चकाचक, अंदर देखें तो
जिला कार्यालय पहुंचे अनिल सिन्हा, राजू वर्मा सहित अन्य लोगों ने बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने की शिकायत करते हुए कहा कि कार्यालय में सुविधा में नाम पर कलक्टर कक्ष के सामने ही फर्नीचर की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा दीगर कार्यालयों में फर्नीचर नहीं होने से लोगों को खड़े रहकर ही फरियाद करनी पड़ती है। लोग सवाल करते हैं कि भवन बाहर से दिखने में तो शानदार दिखता है, लेकिन अंदर आने पर हकीकत से सामना होता है।
Published on:
15 Sept 2018 05:00 am
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