
बैतूल। जिले में ज्वार पंजीयन में सामने आई गंभीर अनियमितताओं के बाद अब धान और मोटे अनाज के पंजीयन में भी फर्जीवाड़े की आशंका सही साबित हुई है। शासन के निर्देश पर कराए गए दोबारा सत्यापन में सिकमी (बटाईदार) और वन पट्टाधारी श्रेणी के 834 पंजीकृत किसानों में से 431 किसान अपात्र पाए गए हैं। जांच के बाद इन सभी किसानों के पंजीयन निरस्त कर दिए गए हैं, जिससे अब ये किसान समर्थन मूल्य पर अपनी उपज नहीं बेच सकेंगे। वहीं, जांच में 403 किसान पात्र पाए गए हैं, जिनका पंजीयन यथावत रखा गया है।
जानकारी के अनुसार जिले में धान और मोटे अनाज की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए कुल 9 हजार 171 किसानों ने पंजीयन कराया था। पंजीयन की प्रक्रिया जिले के 17 सहकारी पंजीयन केंद्रों पर की गई थी, लेकिन इनमें से कई किसानों के पंजीयन से जुड़े अनुबंध ई-उपार्जन पोर्टल पर अपलोड नहीं पाए गए। इस कारण यह आशंका जताई गई कि संबंधित किसान सिकमी (बटाईदार) या वन पट्टाधारी हो सकते हैं और उनके दस्तावेज संदेह के दायरे में हैं। ऐसे ही 834 किसानों को संदेहस्पद मानते हुए कलेक्टर ने इनके पंजीयनों की दोबारा जांच के आदेश जारी किए थे।
पांच सदस्यीय जांच दल का गठन
संदेहस्पद पंजीयनों की गहन जांच के लिए कलेक्टर ने पांच सदस्यीय जांच दल का गठन किया। इस दल में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी कृषि विभाग, सहकारिता विस्तार अधिकारी (सहकारिता विभाग) तथा सहायक कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी को शामिल किया गया। जांच दल को शासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार सिकमी और वन पट्टाधारी श्रेणी में आने वाले किसानों के पंजीयन की वास्तविकता की जांच का दायित्व सौंपा गया। बीस दिन में जांच दल ने जांच पूरी कर ली।
दस्तावेजों का केंद्रवार मिलान
कलेक्टर के आदेश के अनुसार जांच केंद्रवार कराई गई। जांच दल ने पंजीयन केंद्र पर उपलब्ध दस्तावेजों का ई-उपार्जन पोर्टल पर दर्ज किसानों के रकबे और फसल विवरण से मिलान किया। साथ ही पोर्टल पर अपलोड किए गए अनुबंधों की भी बारीकी से जांच की। सिकमी और बटाई पर भूमि लेने वाले किसानों के मामलों में मूल भूमिधारकों से पुष्टि की गई, जबकि वन पट्टाधारी किसानों की जानकारी वन विभाग से सत्यापित कराई गई।
ज्वार पंजीयन से सबक, इसलिए सख्ती
प्रशासन के लिए यह जांच इसलिए भी अहम थी क्योंकि इससे पहले ज्वार पंजीयन के दौरान फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई किसानों के पंजीयन सामने आए थे, जिससे प्रशासन को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। बाद में सत्यापन के दौरान ऐसे फर्जी पंजीयन पोर्टल से हटाए गए थे। इसी अनुभव को ध्यान में रखते हुए धान और मोटे अनाज के पंजीयन में किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो, इसके लिए प्रशासन ने अतिरिक्त सतर्कता बरती और सिकमी तथा वन पट्टाधारी श्रेणी के किसानों के पंजीयन की जांच कराई।
किसानों को बुलाकर की गई जांच
बताया गया कि जांच प्रक्रिया के दौरान संदेहस्पद पंजीयन वाले किसानों को दस्तावेजों सहित बुलाया गया था। उनके अनुबंध पत्र, भूमि संबंधी कागजात और अन्य आवश्यक दस्तावेजों की विस्तार से जांच की गई। जांच के बाद 431 किसानों को अपात्र घोषित करते हुए उनके पंजीयन निरस्त कर दिए गए, जबकि शेष 403 किसानों को पात्र मानते हुए समर्थन मूल्य पर खरीदी की प्रक्रिया में शामिल रहने की अनुमति दी गई। प्रशासन का कहना है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य वास्तविक किसानों के हितों की रक्षा करना और समर्थन मूल्य खरीदी प्रणाली को पारदर्शी बनाना है, ताकि किसी भी तरह के फर्जीवाड़े पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।
इनका कहना
Published on:
28 Dec 2025 09:15 pm
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