24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डैम में आ गई थी दरार, तब ऐसा हुआ था चमत्कार, 1400 साल प्राचीन है यह मंदिर

navratri 2022 - चमत्कारों से भरी है यहां की कहानियां...। बैतूल से 8 किमी दूर गोधना गांव में है यह मंदिर...।

2 min read
Google source verification

बेतुल

image

Manish Geete

Sep 29, 2022

betul11_1.png

चिचोली (बैतूल)। सिद्ध पीठ की भूमि कहे जाने वाले मां चंडी दरबार मंदिर चिचोली से सात किलो मीटर की दूरी पर ग्राम गोधना के समीप स्थित है। यहां मां चंडी भ्रद्रकाली के स्वरूप में स्वयं प्रकट हुई है। माता को कष्टों के निवारण का स्वरूप माना गया है।


मंदिर के पुजारी वशिष्ठ दुबे ने बताया कि पहले यहां राजा ईल का राज हुआ करता था। दुधियागढ़ किले के राजा की देवी चंडी माता उनकी आराध्य कुलदेवी कहलाती है। दुधियागढ़ महल से देवी तक राजा पूजा करने के लिए सुरंग के माध्यम से मंदिर आते थे। राजा ने मंदिर के पास दो आश्चर्यचकित दो गुबदों का निर्माण कराया है, जो आज भी लोगों को अचरज में डाल देती है। मंदिर के आकार के यह दोनों गुंबद एक जैसे है। इन दोनों गुंबद में आवाज लगाने पर एक में तेज और दूसरे में सामान्य आवाज आती है।


हरिदास यादव बताते हैं कि 1400 साल पहले माता स्वयं प्रकट हुई है। माता की पिंडी आस्था का केंद्र है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सालों पहले चंडी माता में भक्तों में अटूट आस्था होने से लोग माता की मूर्ति सिंगारचावडी ले जाना चाहते थे, लेकिन माता की मूर्ति जैसे ही बैलगाड़ी में रखी गाड़ी के पहिए टूट गए। बैल बेहोश होकर गिर गए। दूसरी बार फिर बैल गाड़ी लाई गई, लेकिन फिर दोबारा ऐसा हुआ तो मूर्ति को वही स्थापित कर दिया।

डैम में आ गई थी दरार

मंदिर से वैसे तो कई आश्चर्यजनक घटनाएं हुई हैं। गोधना डैम निर्माण के बाद बारिश में एकत्रित हुआ पानी माता की मूर्ति तक पहुंच गया। ऐसा होते ही डैम में दरार पड़ गई। इसके बाद प्रशासन ने डैम से पानी का लेवल कम किया, तभी से डैम सुरक्षित है।

यह भी पढ़ेंः

नगर की रक्षा कर श्रद्धालुओं की मुरादें पूरी करती हैं 'मरही माता, श्मशान के पास बना है मंदिर