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दान की उपेक्षा या सिस्टम की लापरवाही? कबाड़ में पड़ी आरओ मशीन बनी नगरपालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल

बैंक द्वारा भेंट की गई वॉटर कूलिंग मशीन नहीं कर सकी प्यास बुझाने का काम, कनेक्शन के अभाव में कबाड़ में रखी, कर्मचारी खुद खरीदकर पी रहे आरओ पानी बैतूल। नगरपालिका में दान में मिली चीजों की कितनी कद्र की जाती है, इसका जीता-जागता उदाहरण नगरपालिका परिसर में कबाड़ में रखी आरओ वॉटर कूलिंग मशीन […]

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बैंक द्वारा भेंट की गई वॉटर कूलिंग मशीन नहीं कर सकी प्यास बुझाने का काम, कनेक्शन के अभाव में कबाड़ में रखी, कर्मचारी खुद खरीदकर पी रहे आरओ पानी

बैतूल। नगरपालिका में दान में मिली चीजों की कितनी कद्र की जाती है, इसका जीता-जागता उदाहरण नगरपालिका परिसर में कबाड़ में रखी आरओ वॉटर कूलिंग मशीन है। बैंक के सौजन्य से भेंट की गई यह मशीन नगर पालिका आने वाले नागरिकों और कर्मचारियों की प्यास बुझाने के उद्देश्य से दी गई थी, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते यह मशीन आज भी उपयोग के इंतजार में पड़ी हुई है।
जानकारी के अनुसार उक्त आरओ वॉटर कूलिंग मशीन कुछ समय पहले तक नगरपालिका परिसर में एक पेड़ के नीचे रखी हुई थी। न तो इसके लिए कोई स्थायी स्थान तय किया गया और न ही इसे चालू करने के लिए आवश्यक विद्युत और जल कनेक्शन की व्यवस्था की गई। बाद में कनेक्शन नहीं होने का हवाला देकर मशीन को उठाकर कबाड़ के बीच रख दिया गया, जहां यह अब धूल फांक रही है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब यह सामने आता है कि जिस नगरपालिका का दायित्व पूरे शहर में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना है, उसी कार्यालय के कर्मचारियों को स्वयं के पैसों से आरओ पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। यदि यह मशीन सुचारु रूप से लगाई जाती तो न केवल कर्मचारियों को राहत मिलती, बल्कि रोजाना नगरपालिका आने वाले सैकड़ों आम नागरिक भी शुद्ध पेयजल का लाभ उठा सकते थे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि दान में मिली सार्वजनिक उपयोग की वस्तु को चालू करने में महीनों क्यों लग जाते हैं? क्या जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ फाइलों में योजनाएं चलाते हैं और जमीनी जरूरतों की उन्हें परवाह नहीं है? बैंक जैसे संस्थान सामाजिक सरोकार निभाते हुए जनहित में संसाधन उपलब्ध कराते हैं, लेकिन जब उनका सही उपयोग नहीं होता तो यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि दानदाताओं के विश्वास के साथ भी खिलवाड़ है। नगरपालिका की यह लापरवाही उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। यदि समय रहते मशीन को व्यवस्थित स्थान पर लगाकर चालू नहीं किया गया, तो यह उदाहरण बन जाएगा कि यहां दान की भी कद्र नहीं होती।

बैतूल की टीम ने राष्ट्रीय मार्शल आर्ट गेम्स में जीते कई पदक

बैतूल। उज्जैन के विजयराजे सिंधिया स्टेडियम में आयोजित 6वें राष्ट्रीय मार्शल आर्ट गेम्स में बैतूल की 10 सदस्यीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। विशेष रूप से लाठी और दो लाठी इवेंट्स में टीम के खिलाडिय़ों ने पदक जीतकर जिले का नाम रोशन किया। यह प्रतियोगिता 29 दिसंबर तक चली और इसका आयोजन परंपरागत लाठी खेल महासंघ मध्यप्रदेश द्वारा किया गया था। बताया गया कि खिलाड़ी मनन यादव दो लाठी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल, प्रमोद यादव ने एक लाठी में सिल्वर और दो लाठी में ब्रॉन्ज मेडल, आयुष यादव ने एक लाठी इवेंट में सिल्वर मेडल, उन्नति डिग्रस ने एक लाठी और दो लाठी दोनों में सिल्वर मेडल, निरल चढ़ाकर ने एक लाठी में सिल्वर मेडल, भव्य सातनकर ने एक लाठी में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।