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राज्यपाल ने गोद लिया गांव, वरसो में घातक हुई आबोहवा

श्यामवीर सिंह घरों के दरवाजों तक गली में भरा कीचड़...स्कूल जाते बच्चे कीचड़ से गुजरते वक्त खुद को बचाते या फिर बड़े बुजुर्ग, महिलाएं, सभी नर्क का यह रास्ता अपनाकर आने जाने को मजबूर हैं।

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Rajesh Kumar Khandelwal

Jul 17, 2017

श्यामवीर सिंह
घरों के दरवाजों तक गली में भरा कीचड़...स्कूल जाते बच्चे कीचड़ से गुजरते वक्त खुद को बचाते या फिर बड़े बुजुर्ग, महिलाएं, सभी नर्क का यह रास्ता अपनाकर आने जाने को मजबूर हैं।

लगातार गंदे पानी में रहने से जहरीले कीटों से उपजी बीमारियों का प्रकोप तो बच्चों से लेकर बड़ों तक तेजी से फैलता चर्म रोग वरसो गांव को सौगात में मिला है। दो साल से खड़ी अधूरी पेयजल टंकी और लटकते बिजली के मौत बांटते तार। यह सब बुरा मंजर है उस वरसो गांव का, जिसे राज्यपाल ने आदर्श गांव बनाने के लिए गोद लिया था।

राज्यपाल कल्याण सिंह के गोद लिए इस वरसो गांव का पत्रिका टीम ने रविवार को गांव पहुंचकर नजारा देखा तो ग्रामीणों से कुछ पूछने की जरूरत ही नहीं बनी।

गांव ने ही अपनी बर्बादी के हालात समझा दिए। ग्रामीणों ने इन समस्याओं के समाधान के लिए जिला प्रशासन व अन्य जिम्मेदारों का भी दरवाजा खटखटाया लेकिन राज्यपाल तक भी उनके गोद लिए गांव की पीड़ा नहीं पहुंच सकी।

निकासी के रास्ते बंद

निकासी के मार्ग नहीं होने से गांव की एक गली में चार साल से डेढ़-डेढ़ फीट गंदा पानी भरा हुआ है। बरसात में यह गंदा पानी घरों में भर जाता है। हालात यह हैं कि लोग अपने घरों में मेहमानों को भी नहीं ले जा सकते। इस गली में बने घरों के लोगों व बच्चों को गंदे पानी से गुजरना पड़ता है। ग्रामीण देशराज ने बताया कि लगातार गंदा पानी भरा रहने से जहरीले कीड़े, मक्खी-मच्छर पनप गए। इससे चर्म रोग, डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियां भी घेरे रहती हैं।

पानी मिलने का इंतजार

गांव में दो साल पहले ओवर हैड टैंक (टंकी) का निर्माण पूरा हो गया। इस टंकी में चम्बल योजना का पानी आना था, लेकिन अब तक न तो यहां पानी की पाइपलाइन डाली जा सकी है और न ही गांववालों को पेयजल मिल सका है।

हर माह सवा लाख खर्च

सरपंच सुमित्रा देवी ने बताया कि वरसो में 450 घर व चार हजार लोगों की आबादी है। पेयजल के लिए एक आरओ प्लांट है लेकिन घर की अन्य जरूरतों (नहाने, कपड़े धोने आदि) के लिए प्रति घर 250 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। गांव के ही एक निजी वाटर सप्लायर से पानी की जरूरत पूरी होती है। इसकी एवज में पूरे गांव को हर माह करीब 1 लाख 12 हजार रुपए चुकाने पड़ते हैं।

नाले का काम अधूरा

हाइवे के दोनों तरफ गांव व सड़क के पानी की निकासी के लिए नाले का निर्माण जरूरी है। इसके लिए नाले का निर्माण का भी शुरू कर दिया गया था लेकिन नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इण्डिया (एनएनएआई) ने अपनी जमीन बताकर नाले का निर्माण बंद करा दिया।

छह घंटे से अधिक बिजली कटौती

लोगों ने बताया कि गांव के अधिकांश घरों में बिजली कनेक्शन हैं। बावजूद इसके पूरे समय बिजली सप्लाई नहीं होती। लोगों की मानें तो गांव में छह घंटे से अधिक बिजली कटौती की जा रही है, जिससे ग्रामवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

-गांव में नाली निर्माण, पेयजल सप्लाई के लिए पाइपलाइन बिछाने जैसे कार्यों में एनएचएआई का ऑब्जेक्शन था। हमने उन्हें मीटिंग के लिए पत्र भेजा लेकिन उनकी ओर से कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं आए। महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय स्मार्ट विलेज समन्वय समिति की इसी माह बैठक होनी है। उसमें इन समस्याओं को उठाएंगे व समाधान का रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे।
-डॉ. निहालसिंह, स्मार्ट विलेज प्रभारी, भरतपुर