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भिलाई निगम के सफाई टेंडर विवाद में आया नाटकीय मोड़, गड़बड़ी उजागर हुई तो आयुक्त ने सचिव को थमा दिया नोटिस

आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने प्राप्त नस्ती का एजेंडा तैयार और चस्पा करने में लापरवाही के आरोप में सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। तीन दिन के भीतर जवाब नहीं देने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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भिलाई

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Dakshi Sahu

Oct 26, 2020

भिलाई निगम के सफाई टेंडर विवाद में आया नाटकीय मोड़, गड़बड़ी उजागर हुई तो आयुक्त ने सचिव को थमा दिया नोटिस

भिलाई निगम के सफाई टेंडर विवाद में आया नाटकीय मोड़, गड़बड़ी उजागर हुई तो आयुक्त ने सचिव को थमा दिया नोटिस

भिलाई. अपने-अपने पसंद की एजेंसी को 23 करोड़ की सफाई ठेका दिलवाने को लेकर एमआईसी और अधिकारियों में टकराव होता रहा। बात जब हद से आगे बढ़ गई और सबकुछ उजागर हो गया तो गुस्से का शिकार होना पड़ा निगम सचिव जीवनलाल वर्मा को। आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी ने प्राप्त नस्ती का एजेंडा तैयार और चस्पा करने में लापरवाही के आरोप में सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। तीन दिन के भीतर जवाब नहीं देने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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सचिव को दिया नोटिस
आयुक्त की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि महापौर परिषद की बैठक में रखे जाने विभिन्न विभागों द्वारा प्रकरण भेजे जाते हैं। उस नस्ती का एजेंडा तैयार कर प्राप्ति तिथि को सूचना फलक पर प्रकाशन किया जाना है। किंतु महापौर के समक्ष नस्तियां प्राप्ति दिनांक को अवलोकन के लिए प्रस्तुत नहीं की जा रही है। इसके कारण कौन सी नस्तियां कब आई स्पष्ट नहीं होता है। यह छग सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के नियम (1) (2) (3) के विपरीत है। तीन दिन के भीतर यह बताएं कि विभन्न कार्य प्रकृति की नस्तियां जिस तारीख को एमआईसी के लिए भेजी जाती है, उसी तारीख का एजेंडा तैयार कर सूचना फलक पर क्यों चस्पा नहीं किया जाता?

सफाई ठेके के प्रस्ताव पर हुआ है विवाद
12 अक्टूबर को हुई महापौर परिषद की बैठक में सफाई ठेके के प्रस्ताव को लेकर परिषद के सदस्य और अधिकारियों में खींचतनी चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि एमआईसी के एजेंडे में सफाई ठेके का मुद्दा था ही नहीं। जबकि परिषद के सदस्यों का कहना है कि प्रस्ताव रखा गया, विस्तार से चर्चा भी हुई। टेंडर शर्त के मुताबिक न्यूनतम दरदाता का 2019-20 का वित्तीय क्षमता प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण टेंडर निरस्त कर दिया गया। इसमें पूरा ठिकरा निगम सचिव पर फूट गया है। क्योंकि परिषद की बैठक में संक्षेपिका के साथ पूरा प्रस्ताव उन्होंने ही दिया था।