
भिलाई . नगर पालिक निगम के वार्डों का आरक्षण की जानकारी देने में जिला निर्वाचन विभाग टालमटोल कर रहा है। दो साल पहले जन सूचना के अधिकार के तहत नगर पालिक निगम भिलाई के वार्डों का 2000, 2005 और 2010 में आरक्षण पंजी की सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध कराने की मांग की गई थी, लेकिन विभाग अब तक आरक्षण पंजी उपलब्ध नहीं करा पाया है। यहां तक कि राज्य सूचना आयोग भी आदेश जारी कर पंजी उपलब्ध कराने निर्देशित कर चुका है। इसके बावजूद विभाग के अफसर मनमानी कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अली हुसैन सिद्दकी ने 2016 में जन सूचना के अधिकार के तहत नगर पालिक निगम के 67 वार्डों का 2000, 2005 और 2010 मेंं हुए आरक्षण की पंजी की सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध कराने मांग की थी। जिला निर्वाचन विभाग ने वर्ष 2000 की पंजी की बजाय सन् 2005 और 2010 के आरक्षण पंजी उपलब्ध कराया था। तब अपर कलक्टर के समक्ष प्रथम अपील की गई, लेकिन उन्होंने भी जानकारी नहीं दी। अपीलार्थी ने द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग रायपुर में की। आयोग ने अपीलार्थी के पक्ष में फैसला दिया। प्रथम अपीलीय अधिकारी / तात्कालीन अपर कलक्टर केके अग्रवाल को यह आदेश दिया कि अपीलार्थी को 30 दिन के अंदर चाही जानकारी उपलब्ध कराई जाए। आयोग ने 500 रुपए क्षतिपूर्ति बतौर देने कहा गया था। लेकिन नहीं दिया गया।
जानिए क्यों नहीं दे रहे जानकारी
दरअसल जिला निर्वाचन विभाग के पास वर्ष २००० की आरक्षण पंजी ही नहीं है। इस वजह से जन सूचना विभाग पंजी उपलब्ध कराने में टालमटोल कर रहा है। सीआर खराब न हो। इसलिए अधिकारी एक-दूसरे पर टालते रहे। तात्कालीन कलक्टर ने समय पर जानकारी नहीं देने के लिए जनसूचना अधिकारी व तात्कालीन एसडीएम एके वाजपेयी को दोषी बताया। वाजपेयी ने जिला उप निर्वाचन अधिकारी व एसडीएम जीआर मरकाम को जिम्मेदार बताया। ५०० रुपए जुर्माना की राशि भी जमा नहीं की।
जानकारी नहीं देने पर 25 हजार पेनाल्टी
इस बार भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर पेनाल्टी का प्रावधान है। यह पेनाल्टी प्रथम अपीलीय अधिकारी पर लगाया जाएगा। सूचना के अधिकार के तहत 25 रुपए तक पेनाल्टी लगाया जा सकता है।
जानकारी दी तो कुर्सी पड़ सकती है खतरे में
यदि जिला निर्वाचन विभाग ने आयोग में चाही गई जानकारी उपलब्ध कराती है तो पार्षदों की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। अपीलार्थी दस्तावेज को लेकर हाईकोर्ट की शरण में जा सकता है। जनहित याचिका के माध्यम से जिला निर्वाचन आयोग के आरक्षण को चुनौती दे सकता है।
आदेश का पालन नहीं करने की शिकायत
सालभर में जानकारी नहीं दी गई तब सिद्दी ने आयोग में शिकायत करते हुए आयोग के आदेश की अवमानना किए जाने की जानकारी दी। आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया है। 22 मई 2018 को सुनवाई के लिए प्रथम अपीलीय अधिकारी/ कलक्टर उमेश अग्रवाल को आयोग में उपस्थित होने कहा गया है।
Published on:
30 Mar 2018 01:03 pm
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