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छत्तीसगढ़ में गाइडलाइन के अभाव में रोज फेंका जा रहा हजारों डोज वैक्सीन, केरल ने किया इस्तेमाल फिर हम क्यों नहीं ?

Coronavirus in Chhattisgarh: दुर्ग जिले में कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान हजारों डोज फेंका जा रहा है। एक वायल से 10 लोगों को टीका लगाया जा रहा है। इसके बाद बचे हुए डोज को फेंका जा रहा है।

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भिलाई

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Dakshi Sahu

May 17, 2021

छत्तीसगढ़ में गाइडलाइन के अभाव में रोज फेंका जा रहा हजारों डोज वैक्सीन, केरल ने किया इस्तेमाल फिर हम क्यों नहीं ?

छत्तीसगढ़ में गाइडलाइन के अभाव में रोज फेंका जा रहा हजारों डोज वैक्सीन, केरल ने किया इस्तेमाल फिर हम क्यों नहीं ?

भिलाई. दुर्ग जिले में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona vaccination in Chhattisgarh) के दौरान हजारों डोज फेंका जा रहा है। एक वायल से 10 लोगों को टीका लगाया जा रहा है। इसके बाद बचे हुए डोज को फेंका जा रहा है। इस तरह से जितना वायल का इस्तेमाल किया जा रहा है उसमें कम से कम एक या दो डोज बच जाता है। अगर उसका भी इस्तेमाल किया जाने लगे तो हजारों लोगों को वैक्सीन लग जाएगी। उपयोग करने के बाद फेंके गए वायल को देखने से यह साफ-साफ नजर आ रहा है। वहीं उच्चाधिकारियों की ओर से निर्देश नहीं होने की वजह से दस के बाद बचे हुए शेष डोज का इस्तेमाल स्वास्थ्य कर्मचारी नहीं कर रहे हैं। इधर छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि वैक्सीन के वायल में जितना डोज लिखा है, उतना ही मरीजों को लगाया जाना है। अगर उससे अधिक डोज लगाने कहा जाएगा तो वैक्सीनेटर 11 लोगों को लगाने के लिए किसी हितग्राही को आधा ही टीका लगाए, जिससे कोरोना टीका का जितना लाभ मिलना चाहिए, वह नहीं मिलेगा।

कोरोना महामारी के बीच वेस्ट न हो वैक्सीन
कोरोना महामारी के बीच वैक्सीन को लेकर जब हर तरफ दौड़ लगी हुई है। हर कोई चाहता है कि उसे समय पर वैक्सीन लग जाए। तब वैक्सीन अगर एक वायल में 11 से 12 डोज आ रही है तब उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है। एक या दो डोज अगर फेंका जा रहा है, तो उससे राज्य और केंद्र दोनों को नुकसान ही हो रहा है। स्वास्थ्य व बहुउद्देशीय कर्मचारी संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष वीएस राव ने यह शिकायत मुख्यमंत्री समेत स्वास्थ्य मंत्री व संबंधित विभाग की अधिकारियों से भी की है। उन्होंने मांग की है कि दस डोज के बाद वायल में जो डोज बच रहे हैं, उसका उपयोग किया जाए।

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एक-एक डोज की है कीमत
यूनियन ने कहा है कि केंद्र या राज्य दोनों ही कंपनी से कोविशील्ड और कॉवैक्सीन महंगे दाम पर खरीद रहे हैं। एक-एक डोज की कीमत अदा की जा रही है। फिर वायल में आने वाले डोज को इस तरह के फेंक देना कहां तक उचित है। बेहतर होगा कि वायल में जब तक आखिरी बूंद मौजूद हो, उसका इस्तेमाल किया जाए।

केरल ने किया इस्तेमाल
केरल को जितने लाभार्थियों को लगाने वैक्सीन दी गई थी, उससे 86 हजार अधिक लोगों को वैक्सीन लगाया गया। एक कुशल नर्स एक वायल से 10 से लेकर 12 लोगों को कोरोना का टीका लगा सकती है। यह काम छत्तीसगढ़ में भी किया जा सकता है। डॉ. अलोक शुक्ला, सचिव, स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि वैक्सीन के वायल में दस डोज ही लिखा है। दस लाभार्थियों को लगाने के बाद सिरिंज में बहुत थोड़ा सा रह जाता है। उतना किसी भी वायल को उपयोग करने के बाद बचता है। अगर 11 डोज लगाने निर्देश जारी किया जाए तो लाभार्थियों को सिस्टर्स दबाव में आधा डोज देना शुरू कर देंगे फिर वैक्सीन का पूरा लाभ कैसे मिलेगा।