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अहम की लड़ाई में पिछड़े शहर के प्रोजेक्ट, कई प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू नहीं हुआ

ये सिर्फ खबर ही नहीं, बल्किशहर के लिए गंभीर चिंतन का विषय है

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Backward city projects in bhilwara

Backward city projects in bhilwara

भीलवाड़ा।

ये सिर्फ खबर ही नहीं, बल्किशहर के लिए गंभीर चिंतन का विषय है। जिस नगर परिषद को आपने शहर के विकास का जिम्मा सौंपा, वहां कई समय से विवादों की फिल्म चल रही है। इसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। इस कार्यकाल में जिन बड़े प्रोजेक्ट के दावे किए गए वे फाइलों में दबे पड़े हैं। सभापति व आयुक्त में नहीं बन रही है। बड़े प्रोजेक्ट पर चर्चा ही नहीं होती। सभापति व उपसभापति के बीच भी तालमेल नहीं है।

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पार्षद दो धड़ों में बंटे हुए हैं। इससे न बोर्ड बैठक समय पर हो रही है और न ही विकास पर मंथन हो रहा है। राजस्थान पत्रिका ने नगर परिषद के पांच बड़े प्रोजेक्ट के हालात जाने। इसमें सामने आया कि एक भी प्रोजेक्ट एेसा नहीं है, जिसका काम अभी शुरू हो पाएगा। यदि अभी भी अफसर नहीं चेते तो कुछ समय बाद आचार संहिता लग जाएगी। एेसे में विकास के दावे अधूरे ही रह जाएंगे।

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जानिए, किस कार्य की क्या स्थिति है
1. हरणी में रोपवे
स्थिति: हरणी महादेव मंदिर से स्मृति वन होते हुए चामुंडा माता मंदिर तक रोपवे बनना है। दो साल पहले का प्रोजेक्ट है। डीपीआर सबमिट हो चुकी है। छह करोड़ 10 लाख रुपए खर्च होने हैं। यूआईटी व मंदिर मंडल ट्रस्ट ने सहमति दे दी। वन विभाग से एनओसी लेना बाकी है। वन भूमि के बदले वन विभाग को भी जमीन देनी है, इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। जब तक यह नहीं होता काम मुश्किल है।


2. आजाद चौक बेसमेंट पार्किंग
स्थिति: प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया है। इसमें आजाद चौक में बेसमेंट पार्किंग बननी थी, ताकि शहर में यातायात सुगम हो सके। इसे अमृत योजना के शहरी यातायात घटक में लिया था। करीब 25 करोड़ खर्च होने थे। केंद्र से बजट कम मिलने के कारण राज्य सरकार से स्वीकृति नहीं मिली है। डीपीआर बन चुकी है। एेसे में यह काम होना मुश्किल है। क्योंकि सरकार से अनुमति नहीं मिलेगी तो परिषद को अपने बजट से कराना होगा। जिस पर अभी कोई चर्चा नहीं है।


3. आर्ट गैलेरी
स्थिति: रोडवेज बस स्टैंड के सामने चार मंजिला आर्ट गैलेरी बननी है। इसकी लागत करीब सात करोड़ 30 लाख आएगी। इसमें ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी, म्यूजियम, लिफ्ट लगनी है। साथ ही कॉमर्शियल दुकानें भी बननी है। जोधपुर एमबीएम कॉलेज से आर्ट गैलेरी का अनुमोदन हो चुका है। अब तकनीकी स्वीकृति के लिए चीफ इंजीनियर को भेजा जा रहा है। इन प्रोजेक्ट का फॉलोअप ढंग से नहीं हो रहा है।


4. रामधाम के पास ओवरब्रिज
स्थिति: नगर परिषद ने जिंदल समूह के साथ यह ओवरब्रिज बनाना तय किया था। अभी मामला एनजीटी में है। इसमें आपत्ति है कि यह ओवरब्रिज बनेगा तो पर्यावरण को बहुत नुकसान होगा। रेलवे से डिमांड मिल चुकी है लेकिन मामला नहीं सुलझा है इसलिए फिलहाल जिंदल समूह की ओर से अंडरपास पर काम कराया जा रहा है। फिलहाल यह ओवरब्रिज भी खटाई में है।


5. चित्रकूटधाम डबल बेसमेंट पार्किंग
स्थिति: परिषद का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। करीब ३० करोड़ रुपए खर्च होने हैं। डीपीआर बन चुकी है। इसे एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर में भेजा है। इसमें चित्रकूट धाम के नीचे पार्र्किंग बनने बाद इसे वापस इसी स्थिति में लाना है। यह काम होता है तो शहर में वाहन पार्र्किंग की बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी।


क्या कहते हैं सभापति व आयुक्त
नगर परिषद के जो भी प्रोजेक्ट है, उन्हें मैं खुद देख रही हूं। अब जिन पर प्रशासनिक चर्चा करनी है उसके लिए कोई तो तैयार हो। ये एेसे काम है जो शहर को बड़ी राहत देंगे। इसलिए मैं चाहती हूं कि इनका काम जल्दी शुरू हो।
ललिता समदानी, सभापति नगर परिषद


सभी प्रोजेक्ट की समीक्षा की है। कुछ में काम लगभग हो चुकी है तो बाकी में चल रहा है। निदेशालय के स्तर से भी अनुमोदन आना शेष है। इन काम को और गति दी जाएगी।
पद्मसिंह नरूका, आयुक्त नगर परिषद