ये अधिकारी जिम्मेदार कलक्टर की अध्यक्षता में 5 दिसंबर 2017 की बैठक में अजमेर रेलवे के अधिकारी महेशचंद मीणा, नगर विकास न्यास सचिव आशीष कुमार शर्मा, आयुक्त रविन्द्रसिंह, जिंदल प्रतिनिधि राजेन्द्र गौड, न्यास के अधिशासी अभियन्ता योगेश माथुर तथा परिषद के सहायक अभियन्ता अखेराम बडोदिया ने हिस्सा लिया था। इन्होंने तीन अंडरपास की सहमति दी थी। इनकी लापरवाही का खमियाजा आमजन भुगत रहा है।
ऐसे चला घटनाक्रम
- 15 जून 2017: परिषद ने जिंदल को रेलवे को डिटेल ड्रांइग के लिए 21.74 लाख जमा कराने का नोटिस दिया।
- 25 जुलाई 2017: एनजीटी ने परिषद की ओर से जिंदल को दिए 21.74 लाख के नोटिस पर स्टे दिया। जबकि यह राशि आरओबी के लिए रेलवे को डिटेल ड्रांइग के लिए जमा करवानी थी। रेलवे आरओबी के लिए सहमति दे चुका था। जिंदल ने यह राशि बाद में एनजीटी में जमा कराई।
- 17 अगस्त 2017: तत्कालीन आयुक्त रविन्द्रसिंह ने स्वायत्त विभाग को पत्र लिखा। परिषद ने 15 जून को जिंदल को दिए नोटिस के क्रियान्वयन पर स्टे आदेश विधि के विपरीत बताते सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाने के निर्देश मांगे।
- 24 अक्टूबर 2017: विधि विभाग ने एसएलपी लगाने के लिए एएजी शिवमंगल दिल्ली को नियुक्त किया।
- 27 अक्टूबर 2017- स्वायत्त शासन विभाग के वरिष्ठ संयुक्त विधि परामर्शी ने आयुक्त रविन्द्र को प्रभारी बनाया। अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल व रूचि कोहली को सूचना दी कि एसएलपी की कार्रवाई से अवगत कराएं।
- 28 अक्टूबर 2017:शिव मंगल ने अपील के लिए 1.10 लाख मांगे।
- 01 नवंबर 2017: आयुक्त रविन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से शपथ पत्र दिया।
- 06 नवंबर 2017 : परिषद ने शिवमंगल को 1.10 लाख भुगतान किया। यहां तक सभी कार्रवाई ठीक चल रही थी।
यूं बदला घटनाक्रम
- 11 सितंबर 2017: एनजीटी ने आर्डर संख्या 8 जारी करते हुए कलक्टर को नोरतमल की ओर से पेश याचिका में तीन अंडरब्रिज होने से ओवरब्रिज की आवश्यता नहीं है। इस पर तीन अंडरब्रिज में यातायात मैनेजमेंट, ड्रेनेज सही करने, बरसाती पानी को रोकने तथा यातायात निर्बाध रूप से चलाने के लिए समीक्षा के निर्देश दिए।
- 5 दिसंबर 2017: कलक्टर की अध्यक्षता में बैठक में छह अधिकारियों ने ओवरब्रिज पर चर्चा न कर तीन अंडरपास पुलिस लाइन, साबुन मार्ग तथा रामधाम के लिए सहमति दी। जबकि जिंदल को ओवरब्रिज बनाना था। अंडरपास पर 2-3 करोड़ खर्च होने के बाद शेष राशि पर चर्चा नहीं की। अधिकारियों की लापरवाही से ओवरब्रिज नहीं मिला।
- 23 अप्रेल 2018: सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसंबर 2017 की बैठक में लिए निर्णय के आधार पर परिषद की अपील को यह कहकर निस्तारित किया कि दोनों पक्ष सहमत हैं। एनजीटी के आदेश की पालना करनी होगी।
- 25 अप्रेल 2019: एनजीटी ने अंडरपास का काम होने व पांच साल के रखरखाव जिंदल के करने पर नोरतमल के मूल आवेदन 21/2017 तथा एमएएन 460/2017 को निस्तारित कर दिया।
- 9 जुलाई 2019 : एनजीटी ने जिंदल की अपील पर जमा 21.70 लाख रुपए की राशि को पुन: लौटाते हुए एमए 18/2019 को भी निस्तारित कर दिया।