चैम्बर के महासचिव आरके जैन ने बताया कि वर्ष 2021 में राजस्व विभाग ने नोटिफिकेशन जारी कर जिला स्तर पर कृषि भूमि को औद्योगिक उपयोग के लिए भू-उपयोग परिवर्तन के लिए कलक्टर के अधिकार 2 लाख वर्ग मीटर तक से घटाकर 50 हजार वर्ग मीटर कर दिए थे। चैम्बर के प्रतिवेदन पर सरकार ने अधिकार बढाकर 2 लाख वर्ग मीटर किए थे, लेकिन पूर्व स्थापित उद्योगों की ओर से विस्तारीकरण के लिए आवेदित परिवर्तन में पूर्व में औद्योगिक रुपान्तरित भूमि को भी जोडा जा रहा है। इससे औद्योगिक इकाइयों के अधिकतर आवेदन 2 लाख वर्ग मीटर से ज्यादा होने से रुपान्तरण प्रकरण सरकार को भेजे जा रहे है। कई औद्योगिक इकाइयों के विस्तारीकरण के ऐसे आवेदन पिछले दो साल से राज्य स्तर पर लंबित है। भू-उपयोग परिवर्तन में देरी से विस्तारीकरण नहीं हो पा रहा है।
इसी तरह औद्योगिक भूमि पर उत्पाद परिवर्तन के अधिकार राज्य स्तर पर है, जबकि रीको औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उत्पाद परिवर्तन के अधिकार क्षेत्रीय प्रबंधक को दे रखे है। उत्पाद परिवर्तन के अधिकार भी राज्य स्तर के बजाय जिला स्तर पर प्रदान किए जाने चाहिए ताकि औद्योगिक इकाइयों में जल्द उत्पादन शुरू हो सके।