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दो जिलों में फंसे दो गांवों को कोई नहीं मान रहा अपना, जनता भुगत रही दर्द

टोंक और भीलवाड़ा जिले की सीमा पर बसे गांवों की समस्या भी विचित्र है। इन्हें कोई अपना नहीं मानना है

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Caught in two districts in two villages in bhilwara

Caught in two districts in two villages in bhilwara

भीलवाड़ा।

टोंक और भीलवाड़ा जिले की सीमा पर बसे गांवों की समस्या भी विचित्र है। इन्हें कोई अपना नहीं मानना है। टोंक जाते हैं तो जवाब आता है भीलवाड़ा जाओ। यहां आते हैं तो टोंक का मामला बताकर टरका देते हैं। जिले के कुचलवाड़ा कला, ऊंचा, हनुमानगर आदि गांवों की यही कहानी है। स्थिति यह है कि दो जिलों की लड़ाई में इन गांवों का विकास भी नहीं हो रहा है। अब इन गांवों को अपने क्षेत्र में शामिल करने का नया विवाद भी खड़ा हो गया है।

इसके तहत जहाजपुर क्षेत्र के कुचलवाड़ा कला, ऊंचा, हनुमानगर व अंबेडकर कॉलोनी को देवली नगरपालिका ने उनके क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। उनका तर्क है कि कुचलवाड़ा कला व हनुमाननगर दोनों ही राजस्व गांव देवली से ही अलग हुए है। अब इन गांवों को देवली क्षेत्र में शामिल करने पर जनहित में सही रहेगा। उनकी इस मांग पर स्वायत्त शासन विभाग ने ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग को लिखा है। पालिका ने लिखा है कि यह गांव पालिका से अलग हुए है। अभी भी वहां पालिा के पिलर लगे हुए है।


देवली के नजदीक है ये गांव
ये गांव जिले के अंतिम छोर पर बसे हुए है। देवली आधा हिस्से भीलवाड़ा जिले में है। अभी देवली का आधा हिस्सा भीलवाड़ा में ही आता है। देवली से कुचलवाड़ा चार किलोमीटर दूर है। जब ऊंचा व देवली के बीच केवल एक तालाब है। यहां के लोगों का मानना है कि यदि ग्राम पंचायतों की जगह ये नगरपालिका में जाएंगे तो सुविधा ज्यादा मिलेगी।

115 किलोमीटर दूर है जिला मुख्यालय

कुचलवाड़ा कला, ऊंचा से भीलवाड़ा जिला मुख्यालय करीब 115 किलोमीटर है और करीब तीन घंटे लगते है। जबकि टोंक केवल 60 किलोमीटर है और एक घंटे का सफर ही है। इस कारण लोग टोंक जिले में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। प्रशासनिक काम भी उधर, सभी कार्यालय नजदीक होने से जल्दी होते हैं।


सरपंच बोले, पेरोफेरी में होने से नहीं हो रहे काम
ऊंचा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच राजेश जैन ने बताया कि देवली नगरपालिका का क्षेत्र नजदीक होने से ऊंचा पेराफेरी में आ गया है। इस कारण काम रुका हुआ है। कन्वर्जन का काम वर्ष १९९९ से बंद है। बीच में चालू हुआ तो इसके पैसे नगरपालिका ले गई। देवली नगरपालिका केवल केवल कन्वर्जन पावर ही चाहते हैं। यदि पूरा विकास कराने की जिम्मेदारी ले तो कोई तकलीफ नहीं है। ऊंचा सरपंच निशा जैन ने कहा, अभी नई कॉलोनियां बन रही है, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। कुचलवाड़ा कला की सरपंच चेतन्यकंवर का कहना है कि शहरी क्षेत्र की पंचायतें हो गई इसलिए कोई विकास नहीं हो रहा है।