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लग्जरी बस की छतों पर करोड़ों का अवैध कारोबार, जीएसटी चोरी कर लगा रहे सरकार को चूना, टैक्स चुकाने वाले व्यापारी खफा

शहर से निजी बसों से करोड़ों की जीएसटी चोरी का कपड़ा जाने लगा है

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Illegal business of crores roofs of buses in bhilwara

Illegal business of crores roofs of buses in bhilwara

भीलवाड़ा ।

शहर से निजी बसों से करोड़ों की जीएसटी चोरी का कपड़ा जाने लगा है। गांठों की मात्रा भी बढ़ गई है। जीएसटी या इ-वे बिल चोरी का माल जाने से जो व्यापारी जीएसटी भरकर और इ-वे बिल जनरेट कर व्यापार कर रहे हैं उनमें भी रोष है। खास कर ट्रांसपोर्ट नगर के व्यापारियों में बड़ा रोष है। वाणिज्यिक कर विभाग से मात्र एक किमी दूर निजी बस संचालकों के बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी का कपड़ा ले जाया जाता था।

लेकिन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। कुछ लोग ऐसे है जो पहले से जीएसटी के बगैर कपड़ा बाहर भेज रहे हैं। यह कपड़ा नकद में बिकता है। सूत्रों की मानें तो निजी बसों से पहले 10-12 करोड़ रुपए का माल प्रतिदिन जाता था, वह आज 12 से 14 करोड़ तक हो चुका है। सर्किट हाउस के सामने लैण्ड मार्क व उसके आस-पास से दिल्ली, जयपुर, आगरा, सूरत, अहमदाबाद, बीकानेर, जोधपुर, बाडमेर सहित अन्य स्थानों के लिए निजी बसों की छतों पर कपड़ो की गांठें रखी जाती है। इससे सवारियों की जान का भी खतरा रहता है। ट्रांसपोर्ट व्यापारियों की माने तो ट्रकों से ज्यादा निजी बसों में कपड़े की गांठे बाहर जा रही है। कई बसे रात आठ बजे बाद ट्रांसपोर्ट नगर में आकर खड़ी होती है जो हर स्टेशन का माल लोड करने के बाद अपने स्थान के लिए रवाना होती है।

ट्रकों पर कार्रवाई, बसों के खिलाफ नहीं

ट्रांसपोर्ट व्यवसायी का कहना है कि ट्रक चालक स्वयं के खर्च के लिए ट्रक में दो-तीन सवारी बिठा लेता है तो रास्ते में परिवहन अधिकारी चालान बना देते है। वहीं निजी बस संचालक बसों में माल लादकर ले जाते है उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। भीलवाड़ा गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन विश्वबंधुसिंह राठौड़ का कहना था कि रोजाना कम से कम 100 निजी बसों में जीएसटी के बिना कपड़ा जाने लगा है। यह काम खुले आम हो रहा है।

इसलिए भेजते हैं
- पांच प्रतिशत जीएसटी नहीं चुकानी पड़ती।
- इ-वे बिल जनरेट करने की परेशानी से छुटकारा।
- नकद में कपड़ा बिकता है तो हाथ में पैसा रहता है
- ट्रक से माल भेजने में समय लगता है। निजी बसों से माल 24 घंटे में पहुंचता है।

करेंगे कार्रवाई
निजी बसों में बिना इ-वे बिल माल जा रहा है तो टैक्स की चोरी है। कोई भी जीएसटी में नहीं बच सकता है। कहीं भी इसकी आन लाइन एन्ट्री होने पर वह पकड़ा जा सकता है। निजी बसों की जांच का अभियान चला कार्रवाई करेंगे।
गोकुलराम चौधरी, सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर विभाग


व्यापारियों को भी परेशानी
जो व्यापारी कम लाभ पर काम करते हैं उन्हें ज्यादा परेशानी हो रही है। जो पहले बिना बिल के काम करते थे, वही आज जीएसटी और इ-वे बिल के बगैर माल निजी बसों के माध्यम से भेज रहे हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
तिलक गंगवाल, कपड़ा व्यापारी