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सेनापति ही नहीं, कैसे हो चौकसी

बांधों की सुरक्षा की देखरेख की बात हों या फिर वहां निर्माण कार्य की। भीलवाड़ा जल संसाधन विभाग (सिंचाई) में भगवान भरोसे ही काम हो रहा है। इसका कारण जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकारियों का नहीं होना है। विभाग में आधे से अधिक अभियंताओं के पद रिक्त पड़े है।

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Not only commander, how to be vigilant

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भीलवाड़ा. बांधों की सुरक्षा की देखरेख की बात हों या फिर वहां निर्माण कार्य की। भीलवाड़ा जल संसाधन विभाग (सिंचाई) में भगवान भरोसे ही काम हो रहा है। इसका कारण जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकारियों का नहीं होना है। विभाग में आधे से अधिक अभियंताओं के पद रिक्त पड़े है। सेवानिवृत्ति के कारण अभियंताओं की संख्या में लगातार कमी आती जा रही। लेकिन सरकार की ओर से इन पदों पर नई भर्ती नहीं हुई।

जानकारी के अनुसार जल संसाधन विभाग में सहायक अभियंता के ११ पद स्वीकृत है। इनमें से छह अभियंता इस समय काम कर रहे है। इससे ज्यादा बुरी हालत कनिष्ठ अभियंताओं की है। विभाग में कनिष्ठ अभियंताओं के २८ पद स्वीकृत है। इनमें से १२ ही इस समय काम कर रहे है। शेष पद रिक्त चल रहे है।

यह काम हो रहा प्रभावित
जिले में संसाधन विभाग के अधीन छोटे-बड़े साठ बांध और तालाब है। इनकी देखरेख से लेकर सुरक्षा की जिम्मेदारी अभियंताओं के जिम्मे है। बांधों पर निर्माण कार्य पर निगरानी रखना और उच्चाधिकारियों से समन्वय का काम इनके जिम्मे है। लेकिन अभियंताओं के पद रिक्त होने से बांधों की मरम्मत से लेकर सुरक्षा प्रभावित हो रही है।

काम का बोझ डाल चलाया जा रहा काम
अभियंताओं की कमी के कारण एक अभियंताओं पर कई डिवीजनों का अतिरिक्त प्रभार सौंपकर काम चलाया जा रहा है। इससे अभियंता अपनी जिम्मेदारी का काम भी पूरा नहीं कर पाते। खासतौर से मानसून के दौरान परेशानी आती है। अतिवृष्टि के दौरान भागदौड़ सबसे ज्यादा होती है।

इनका कहना है
अभियंताओं की कमी है। खासतौर से कनिष्ठ अभियंताओं के पद रिक्त है। अभियंता ही निर्माण कार्य पर नजर रखने समेत कई कार्य देखते है। अभियंताओं की कमी से काम प्रभावित हो रहा है।
- प्रमोद वाघरानी, बाढ़ नियंत्रण कक्ष प्रभारी